“शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं” भगवान विष्णु की
“शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं” श्लोक भगवान विष्णु को समर्पित है और उनकी स्तुति में गाया जाने वाला अत्यंत पवित्र श्लोक है। इसमें उनके शांत स्वरूप, शेषनाग पर शयन, पद्मनाभ (नाभि से कमल उत्पन्न करने वाले), और संपूर्ण ब्रह्मांड के पालनकर्ता रूप का वर्णन है। इस श्लोक का जप मानसिक शांति, भय से मुक्ति, और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। यह श्लोक विष्णु सहस्रनाम से लिया गया है और इसमें भगवान विष्णु के शांत, अनंत और करुणामय स्वरूप का वर्णन मिलता है।
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शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं श्लोक (Sanskrit Lyrics)
श्लोक
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्॥
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्।
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics in English
Shantakaram Bhujagashayanam Padmanabham Suresham
Vishvadharam Gaganasadrisham Meghavarnam Shubhangam।
Lakshmikantam Kamalanayanam Yogibhirdhyanagamyam
Vande Vishnum Bhavabhayaharam Sarvalokaikanatham॥
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं का अर्थ (Meaning in Hindi)
मैं भगवान विष्णु को प्रणाम करता हूँ —
जो शांत स्वरूप वाले हैं, अनंत शेषनाग पर शयन करते हैं,
जिनके नाभि से सृष्टि का कमल उत्पन्न हुआ है,
जो सम्पूर्ण जगत के आधार हैं, जिनका स्वरूप आकाश के समान असीम है,
जिनका रंग मेघ जैसा गहरा और अंग अत्यंत सुंदर है।
वे लक्ष्मीपति हैं, कमलनयन हैं,
जिन्हें केवल योगीजन ध्यान द्वारा ही देख सकते हैं।
वे भवसागर के भय को हरने वाले और समस्त लोकों के स्वामी हैं।
शान्ताकारं भुजगशयनं जपने के लाभ
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मानसिक शांति और एकाग्रता मिलती है।
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घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का वास होता है।
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भय, चिंता और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
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आध्यात्मिक उन्नति एवं आत्मबल में वृद्धि होती है।
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. “शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं” श्लोक किसे समर्पित है?
यह श्लोक भगवान विष्णु को समर्पित है, जो जगत के पालनकर्ता और विष्णु सहस्रनाम का हिस्सा हैं।
2. इस श्लोक का पाठ कब करना चाहिए?
सुबह स्नान के बाद या रात को सोने से पहले शांत मन से इसका जप करना शुभ माना जाता है।
3. “शान्ताकारं भुजगशयनं” श्लोक जपने के क्या लाभ हैं?
यह शांति, समृद्धि, नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा और मानसिक बल प्रदान करता है।
4. क्या इस श्लोक का जप रोज़ किया जा सकता है?
हाँ, इसे रोज़ 11, 21 या 108 बार जपना अत्यंत फलदायी है।
5. क्या यह श्लोक केवल विष्णु भक्त ही जप सकते हैं?
नहीं, कोई भी श्रद्धालु इस श्लोक का जप कर सकता है और भगवान विष्णु की कृपा पा सकता है।
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