धनुरासन अभ्यासी के शरीर को धनुष की आकृति में लाता है। इस आसन को इंग्लिश में “Bow Pose” कहते हैं। आज हम आपके लिए धनुरासन के फायदे लेकर आए हैं। धनुरासन पूरे शरीर को स्थिर, मजबूत और लचीला बनाने में मदद करता है। यह बढ़ती उम्र के साथ होने वाले शरीर के दर्दों को कम करने, पेट की चर्बी को कम करने और पीठ दर्द में भी सहायक होता है।
धनुरासन करने की विधि
- सबसे पहले आप अपने पेट के बल लेट जाए।
- अपने पैरों को घुटनों से मोड़े और अपने हाथ से टखनों को पकड़े।
- सांस लेते हुए आप अपने सिर, छाती और झांगों को एक साथ ऊपर की ओर उठाएं।
- अपने शरीर के लचीलापन के हिसाब से आप अपने शरीर को ऊपर उठा सकते हैं।
- शरीर के भार को पेट निचले हिस्से पर लेने की कोशिश करें।
- फ़ाइनल पोज़ में नार्मल सांस ले और छोड़े।
- प्रारंभिक अवस्था में आने के लिए सांस छोड़ते हुए नीचे आएं।
- यह एक चक्र पूरा हुआ।
- इस तरह से आप 3-5 चक्र करें।
धनुरासन के फायदे
- धनुरासन (Dhanurasana) का नियमित अभ्यास कई शारीरिक और मानसिक फायदे प्रदान करता है। यह आसन स्पष्ट निर्देशों के साथ किया जाना चाहिए और इसके निम्नलिखित लाभ हैं:
- पूर्ण शरीर का विस्तार: धनुरासन शरीर के पृष्ठभाग, पेट, जांघ और भुजाओं की मांसपेशियों को खींचकर पूर्ण विस्तार देता है। इससे शरीर का लचीलापन बढ़ता है और कई समस्याएं जैसे पीठ और जांघ का दर्द कम होता है।
- पेट की चर्बी को कम करना: धनुरासन पेट की चर्बी को कम करने में मदद करता है। इसके द्वारा कमर और पेट की मोटापा कम होता है और शरीर को सुडौल आकार प्राप्त होता है।
- पाचन तंत्र को सुधारना: धनुरासन पाचन तंत्र को सुधारने में सहायक होता है। इससे अपच, गैस, और कब्ज से राहत मिलती है।
- रक्त संचार को बेहतर बनाना: धनुरासन के दौरान पूरे शरीर में रक्त संचार बढ़ जाता है, जिससे शरीर के अंगों को पोषण मिलता है और उनमें ऊर्जा का प्रवाह सुचारु होता है।
- स्पाइन को लचीला बनाना: धनुरासन के अभ्यास से स्पाइन (मेरुदंड) को लचीला बनाया जा सकता है। इससे spinal nerves को जड़ से पोषण मिलता है और वे स्वस्थ होती हैं।
- चित्त शांति: धनुरासन को करने से मन शांत होता है और चित्त को केंद्रित करने में मदद मिलती है। परिणामस्वरुप तनाव को कम करने में मदद मिलती है।
- इनर ऑर्गन्स को मसाज करना: धनुरासन शरीर के भीतरी अंगों की मसाज करता है और उन्हें स्वस्थ रखने में मदद करता है।
कृपया ध्यान दें कि धनुरासन जैसे योगिक आसनों को नियमित रूप से करने से पहले एक योग गुरु या प्रशिक्षक के साथ योग का सही तरीके से अभ्यास करना बेहद आवश्यक है।
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