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नीम करोली बाबा के शिष्य और नीम करोली बाबा मंत्र
हिंदू धार्मिक गुरूओं में बाबा नीम करोली का नाम काफी जाना पहचाना है। नैनीताल के कैंची धाम में बाबा का आश्रम है, जहां उनके कई शिष्य आकर रहे और आश्रम में सेवा की। यहाँ हम जानेंगे कि कौन थे नीम करोली बाबा के शिष्य और क्या है नीम करोली बाबा मंत्र जिसके जाप से पके सारे दुख दूर होंगे और मनोकामनाएं पूरी होंगी।
नीम करोली बाबा के शिष्य
नीम करोली बाबा के प्रसिद्ध शिष्य की बात करें तो कई नाम सामने आते हैं जैसे – एप्पल के निर्माता स्टीव जॉब्स, फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग, हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स, बॉलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा और भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली जैसे बड़े लोग उनके शिष्य हैं। वहीं इनके अन्य भक्तों में आध्यात्मिक शिक्षक रामदास – जिन्होंने बाबा नीम करोली पर कई किताबें लिखी है, गायक और आध्यात्मिक शिक्षक भगवानदास, लेखक और ध्यान शिक्षक लामा सूर्य दास और संगीतकार जय उत्तर और कृष्णदास शामिल है।
नीम करोली बाबा मंत्र
नीम करोली बाबा उत्तराखंड में रहे, यहां उनका कैंची धाम आश्रम है। यदि आप कैंची धाम नहीं जा पा रहे हैं, लेकिन रोज नीम करोली बाबा की आराधना करना चाहते हैं तो उनके इस खास मंत्र का रोज पाठ करें। इससे आपके सारे दुख दूर होंगे और मनोकामनाएं पूरी होंगी-
“मैं हूँ बुद्धि मलीन अति, श्रद्धा भक्ति विहीन I
करूं विनय कछु आपकी, हौं सब ही विधि दीन II
चौपाई –
जै जै नीब करौरी बाबा | कृपा करहु आवै सदभावा II
कैसे मैं तव स्तुति बखानूँ | नाम ग्राम कछु मैं नहिं जानूँ II
जापै कृपा दृष्टि तुम करहु | रोग शोक दुःख दारिद हरहु II
तुम्हरौ रूप लोग नहिं जानै I जापै कृपा करहु सोई भानैं II
करि दै अरपन सब तन मन धनIपावै सुक्ख अलौकिक सोई जनII
दरस परस प्रभु जो तव करई I सुख सम्पति तिनके घर भरई II
जै जै संत भक्त सुखदायक I रिद्द्धि सिद्धि सब सम्पति दायक ||
तुम ही विष्णु राम श्री कृष्णाI विचरत पूर्ण कारन हित तृष्णा II
जै जै जै जै श्री भगवंता I तुम हो साक्षात भगवंता II
कही विभीषण ने जो बानी I परम सत्य करि अब मैं मानी II
बिनु हरि कृपा मिलहिं नहिं संता Iसो करि कृपा करहिं दुःख अंत II
सोई भरोस मेरे उर आयो I जा दिन प्रभु दर्शन मैं पायो II
जो सुमिरै तुमको उर माहीं I ताकी विपति नष्ट हवे जाहीं II
जै जै जै गुरुदेव हमारे I सबहि भाँति हम भये तिहारे II
हम पर कृपा शीघ्र अब करहूं I परम शांति दे दुःख सब हरहूं II
रोग शोक दुःख सब मिट जावे I जपै राम रामहि को ध्यावें II
जा विधि होइ परम कल्याणा I सोई सोई आप देहु वारदाना II
सबहि भाँति हरि ही को पूजें I राग द्वेष द्वंदन सो जूझें II
करैं सदा संतन की सेवा I तुम सब विधि सब लायक देवा II
सब कछु दै हमको निस्तारो I भव सागर से पार उतारो II
मैं प्रभु शरण तिहारी आयो I सब पुण्यं को फल है पायो II
जै जै जै गुरुदेव तुम्हारी I बार बार जाऊं बलिहारी II
सर्वत्र सदा घर घर की जानो I रूखो सूखो ही नित खानों II
भेष वस्त्र हैं सादा ऐसे I जानेंनहिं कोउ साधू जैसे II
ऐसी है प्रभु रहनि तुम्हारी I वाणी कहौ रहस्यमय भारी II
नास्तिक हूँ आस्तिक हवे जावें I जब स्वामी चेटक दिखलावें II
सब ही धर्मनि के अनुयायी I तुम्हें मनावें शीश झुकाई II
नहिं कोउ स्वारथ नहिं कोउ इच्छाIवितरण कर देउ भक्तन भिक्षाII
केहि विधि प्रभु मैं तुम्हें मनाऊँ I जासों कृपा-प्रसाद तब पाऊँ II
साधु सुजन के तुम रखवारे I भक्तन के हौ सदा सहारे II
दुष्टऊ शरण आनि जब परई I पूरण इच्छा उनकी करई II
यह संतन करि सहज सुभाऊ I सुनि आश्चर्य करइ जनि काऊ II
ऐसी करहु आप अब दाया I निर्मल होइ जाइ मन और काया II
धर्म कर्म में रुचि होय जावै I जो जन नित तव स्तुति गावै II
आवें सद्गुन तापे भारी I सुख सम्पति सोई पावे सारी II
होइ तासु सब पूरन कामा Iअंत समय पावै विश्रामा II
चारि पदारथ है जग माहीं I तव प्रसाद कछु दुर्लभ नाहीं II
त्राहि त्राहि मैं शरण तिहारी Iहरहु सकल मम विपदा भारी ii
धन्य धन्य बड़ भाग्य हमारो I पावैं दरस परस तव न्यारो II
कर्महीन अरु बुद्धि विहीनाI तव प्रसाद कछु वर्णन कीना II
दोहा –
श्रद्धा के ये पुष्प कछु, चरनन धरे सम्हार Iकृपा-सिन्धु गुरुदेव तुम, करि लीजै स्वीकार II”
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