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Chatushloki Bhagwat (चतुः श्लोकी भागवत)
चतु:श्लोकी भगवत् (Chatushloki Bhagwat) के चार श्लोक भगवत गीता की संपूर्ण शिक्षाओं का सारांश प्रस्तुत करते हैं। मन की शुद्धि के लिए यह सवश्रेष्ठ साधन है। इसके पाठ से कलयुग के सभी दोष नष्ट हो जाते हैं और हरि हृदय में अपना निवास बना लेते हैं। चतु:श्लोकी भगवत् में श्री वल्लभ ने वैष्णवों को धर्म (कर्तव्य), अर्थ (भौतिक आवश्यकताएं), काम (वह चीजें जिन्हें वह प्राप्त करना चाहता है) और मोक्ष (मोक्ष) जैसे चार पुरुषार्थों का अर्थ समझाया है।
चतु:श्लोकी भागवत (Chatushloki Bhagwat) को श्रीमद्भागवत का हृदय कहा जाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रह्माजी को केवल चार श्लोकों में संपूर्ण ज्ञान दिया है। इन श्लोकों का पाठ करने से कलियुग के दोष मिटते हैं, मन शुद्ध होता है और ईश्वर का साक्षात्कार सुलभ होता है।
Chatushloki Bhagwat Shlok in Sanskrit
ज्ञानं परमगुहां मे यद्विज्ञानसमन्वितम् ।
सरहस्यं तदंगं च ग्रहाण गदितं मया ।।1।।
यावानहं यथाभावो यद्रूपगुणकर्मक: ।
तथैव तत्त्वविज्ञानमस्तु ते मदनुग्रहात् ।।2।।
अहमेवासमेवाग्रे नान्यद्यत्सदसत्परम् ।
पश्चादहं यदेतच्च योऽवशिष्येत सोऽस्म्यहम् ।।3।।
ऋतेऽर्थं यत्प्रतीयेत न प्रतीयेत चात्मनि ।
तद्विद्यादात्मनो मायां यथाऽऽभासो यथा तम: ।।4।।
यथा महान्ति भूतानि भूतेषूच्चावचेष्वनु ।
प्रविष्टान्यप्रविष्टानि तथा तेषु न तेष्वहम् ।।5।।
एतावदेव जिज्ञास्यं तत्त्वजिज्ञासुनात्मन: ।
अन्वयव्यतिरेकाभ्यां यत्स्यात्सर्वत्र सर्वदा ।।6।।
एतन्मतं समातिष्ठ परमेण समाधिना ।
भवान् कल्पविकल्पेषु न विमुज्झति कर्हिचित् ।।7।।
चतु:श्लोकी भगवत् पढ़ने के लाभ
ये चार श्लोक संपूर्ण महाकाव्य भागवत पुराण का सार हैं। दुःख, अत्याचार, दुर्भाग्य पर विजय तथा पापों के निवारण, शत्रुओं पर विजय, विद्या प्राप्ति, रोजगार, सुख समृद्धि, मोक्ष अर्थात तथा सफल जीवन के लिए प्रतिदिन भागवत का पाठ सुनना चाहिए। चूँकि इस संसार में भागवत शास्त्र से शुद्ध कुछ भी नहीं है, इसलिए भागवत का पाठ करना सदैव लाभकारी रहता है।
चतु:श्लोकी भागवतम् के इन चारों श्लोकों को प्रतिदिन पूर्ण विश्वास के साथ पढ़ने और सुनने से व्यक्ति का अज्ञान और अहंकार दूर हो जाता है और उसे आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति चतु:श्लोकी भगवत् का पाठ करता है वह पापों से मुक्त होकर अपने जीवन में सत्य मार्ग पर चलता है। व्यक्तियों को स्वयं का मूल्यांकन करने के लिए इन चतुश्लोकी भागवत का पाठ करना चाहिए ताकि व्यक्ति अपनी क्षमताओं का मूल्यांकन कर सके।
चतु: श्लोकी भागवत का महत्व
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यह श्लोक श्रीमद्भागवत का मूल सार हैं।
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इसमें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे चार पुरुषार्थों की व्याख्या की गई है।
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इनका पाठ करने से भक्ति और वैराग्य की वृद्धि होती है।
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यह श्लोक ईश्वर और जीव के संबंध को स्पष्ट करते हैं।
चतु: श्लोकी भागवत का भावार्थ (Summary Meaning)
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ज्ञान और विज्ञान – भगवान का स्वरूप, गुण और कर्म अनंत हैं।
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ईश्वर ही सबकुछ हैं – प्रारंभ, मध्य और अंत सब वही हैं।
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माया और सत्य का भेद – जो आत्मा में नहीं है, वह माया है।
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सर्वव्यापकता – ईश्वर सबमें व्याप्त हैं, पर उनसे परे भी हैं।
चतु: श्लोकी भागवत क्या है?
👉 यह श्रीमद्भागवत के चार मुख्य श्लोक हैं, जिन्हें इसका हृदय कहा गया है।
Q2. Chatushloki Bhagwat किसने कहा था?
👉 भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रह्माजी को यह उपदेश दिया था।
Q3. चतु: श्लोकी भागवत का पाठ कब करना चाहिए?
👉 प्रातः काल या नवरात्रि, एकादशी और शुभ अवसरों पर करना उत्तम माना जाता है।
Q4. इन श्लोकों को पढ़ने से क्या लाभ होता है?
👉 मन की शुद्धि, पापों का नाश और भक्ति में दृढ़ता आती है।
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