Gajendra Moksha in Hindi श्रीमद्भागवत महापुराण के अष्टम स्कंध में वर्णित एक दिव्य कथा है। यह कथा भक्त और भगवान के प्रेम, विश्वास और समर्पण की अद्भुत गाथा है। इसमें गजेन्द्र नामक एक हाथी जब घोर संकट में फँस जाता है, तब वह पूर्ण श्रद्धा से भगवान विष्णु का स्मरण करता है और भगवान तुरंत उसकी रक्षा के लिए प्रकट होकर उसे मोक्ष प्रदान करते हैं। यही प्रसंग “गजेन्द्र मोक्ष” कहलाता है।
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गजेन्द्र मोक्ष कथा विस्तार से
श्रीमद्भागवत महापुराण के अष्टम स्कंध में यह अद्भुत कथा वर्णित है।
बहुत समय पहले इन्द्रद्युम्न नामक राजा अत्यंत पराक्रमी और धार्मिक थे, लेकिन उनमें अहंकार आ गया। एक दिन वे तपस्या में लीन थे और ऋषि अगस्त्य उनके पास आए। राजा ने ध्यान में होने के कारण ऋषि का उचित सम्मान नहीं किया। क्रोधित होकर अगस्त्य ऋषि ने उन्हें शाप दिया कि वे अगले जन्म में हाथी बनेंगे।
शाप के अनुसार इन्द्रद्युम्न राजा का जन्म गजेन्द्र नामक हाथी के रूप में हुआ। वे त्रिकूट पर्वत के सुंदर सरोवर में अपने परिवार के साथ रहते थे। गजेन्द्र शक्तिशाली और विशालकाय थे, किंतु पूर्व जन्म के संस्कारों के कारण उनके हृदय में भगवान विष्णु की भक्ति बनी हुई थी।
एक दिन गजेन्द्र अपने परिवार सहित जलक्रीड़ा कर रहे थे। तभी अचानक एक मगरमच्छ ने उनके पैर को पकड़ लिया। गजेन्द्र ने अपनी पूरी शक्ति लगाकर मगरमच्छ से संघर्ष किया। यह संघर्ष हज़ारों वर्षों तक चला। मगरमच्छ जल का जीव था, इसलिए समय बीतने के साथ उसकी शक्ति बढ़ती गई, जबकि गजेन्द्र की शक्ति क्षीण होती चली गई।
अंततः गजेन्द्र को समझ आया कि केवल ईश्वर ही उनकी रक्षा कर सकते हैं। उन्होंने हृदय से भगवान विष्णु का स्मरण किया और एक सुंदर स्तुति अर्पित की। यही स्तुति “गजेन्द्र स्तुति” कहलाती है।
भगवान विष्णु ने भक्त की पुकार सुनते ही गरुड़ पर आरूढ़ होकर प्रकट हुए। उन्होंने सुदर्शन चक्र से मगरमच्छ का वध किया और गजेन्द्र को उसके शाप से मुक्त कर मोक्ष प्रदान किया। मगरमच्छ भी पूर्व जन्म में एक गंधर्व था, जिसे शापवश मगरमच्छ का जन्म मिला था। भगवान ने उसे भी शाप से मुक्ति दिलाई।
इस प्रकार गजेन्द्र और मगरमच्छ दोनों को भगवान की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति हुई।
गजेन्द्र स्तुति (Gajendra Stuti in Hindi)
गजेन्द्र ने भगवान विष्णु को पुकारते हुए यह स्तुति की, जो अत्यंत शक्तिशाली और कल्याणकारी मानी जाती है।
श्लोक 1
ॐ नमो भगवते तस्मै यतः प्रजाः प्रजापतेः।
गुणप्रवृत्तयः सर्वा रजःसत्त्वतमोमयाः॥
अर्थ:
मैं उन भगवान को प्रणाम करता हूँ, जो सम्पूर्ण प्राणियों के स्वामी हैं और जिनकी प्रेरणा से प्रकृति में सत्त्व, रज और तम तीनों गुण कार्य करते हैं।
श्लोक 2
न्यस्येदमात्मन्यखिलं यशोऽर्थं च योऽन्वहम्।
अनुवर्तयते स साक्षाद् भगवाँल्लोकगुरुर्मम॥
अर्थ:
संपूर्ण जगत का धारण करने वाले, सबको जीवन देने वाले, और समस्त लोकों के गुरु भगवान को मैं बारंबार नमस्कार करता हूँ।
श्लोक 3
स्वात्माराममधीरं यः प्रपन्नार्थिहरो हरिः।
प्रशान्तमनसोऽनन्तं नमामि पुरुषोत्तमम्॥
अर्थ:
जो अपने आप में ही आनंदित रहते हैं, जो भक्तों की पुकार पर संकट हर लेते हैं, जो अनन्त और शांतस्वरूप पुरुषोत्तम भगवान हैं, उनको मैं प्रणाम करता हूँ।
श्लोक 4
नमः अकिञ्चन-वित्ताय निवृत्त-गुण-वृत्तये।
आत्मारामाय शान्ताय कैवल्यपतये नमः॥
अर्थ:
जो अकिंचन (निर्लिप्त) के धन हैं, जो गुणों से परे हैं, जो आत्मा में स्थित होकर शांति के स्वामी हैं, उस कैवल्य (मोक्ष) के स्वामी को मेरा नमस्कार है।
श्लोक 5
यः स्वात्मन्यखिलावस्थोऽप्यकुतश्चन बिभ्यति।
स्वधाम्न्यनन्यधर्मेण नित्यं शान्तः स ईश्वरः॥
अर्थ:
जो सदा अपने स्वरूप में स्थित रहते हैं, जिन्हें किसी से भय नहीं है, जो अपने धाम में नित्य शांति से स्थित रहते हैं, वही भगवान सच्चे ईश्वर हैं।
गजेन्द्र मोक्ष का महत्व
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यह कथा सिखाती है कि जब मनुष्य अपने अहंकार और शक्ति पर विश्वास छोड़कर पूर्ण समर्पण करता है, तब भगवान स्वयं उसकी रक्षा करते हैं।
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“गजेन्द्र स्तुति” का पाठ करने से संकट दूर होते हैं और मानसिक शांति मिलती है।
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गजेन्द्र मोक्ष की कथा हमें विश्वास दिलाती है कि सच्ची भक्ति से भगवान अवश्य प्रकट होते हैं।
गजेन्द्र मोक्ष के लाभ (Benefits of Gajendra Moksha in Hindi)
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संकट से मुक्ति – गजेन्द्र मोक्ष की कथा सुनने या पढ़ने से जीवन के संकट और क्लेश दूर होते हैं।
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आत्मिक शांति – यह कथा व्यक्ति को आंतरिक शांति और स्थिरता प्रदान करती है।
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भक्ति की दृढ़ता – यह प्रसंग सिखाता है कि केवल ईश्वर का स्मरण ही वास्तविक सहारा है।
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मोक्ष की प्रेरणा – गजेन्द्र मोक्ष हमें जीवन-मरण के भय से ऊपर उठकर परमात्मा में विश्वास करने की प्रेरणा देता है।
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नकारात्मक शक्तियों से रक्षा – गजेन्द्र स्तुति का पाठ करने से भय, रोग और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
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अहंकार का नाश – यह कथा हमें याद दिलाती है कि अहंकार चाहे कितना भी बड़ा हो, संकट के समय केवल भक्ति और समर्पण ही काम आते हैं।
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धन-समृद्धि और सफलता – धार्मिक मान्यता है कि गजेन्द्र मोक्ष कथा का श्रवण और पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
FAQs on Gajendra Moksha
Q1. गजेन्द्र मोक्ष किस ग्रंथ में वर्णित है?
👉 गजेन्द्र मोक्ष कथा श्रीमद्भागवत महापुराण के अष्टम स्कंध में वर्णित है।
Q2. गजेन्द्र मोक्ष से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
👉 यह कथा सिखाती है कि भगवान का स्मरण और भक्ति ही जीवन के संकटों से मुक्ति का मार्ग है।
Q3. गजेन्द्र मोक्ष किसे प्राप्त हुआ था?
👉 गजेन्द्र नामक एक हाथी को, जिसे भगवान विष्णु ने मगरमच्छ से बचाकर मोक्ष प्रदान किया।
Q4. गजेन्द्र स्तुति क्या है?
👉 गजेन्द्र द्वारा भगवान विष्णु को की गई प्रार्थना को “गजेन्द्र स्तुति” कहा जाता है, जो अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली मानी जाती है।
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