इस पोस्ट में हम कुण्डलिनी जागरण के फायदे, चमत्कार और नुकसान (Kundalini Awakening Benefits and Risks in Hindi) के बारे में जानेंगे। कुंडलिनी जागृत करते समय किसी योग्य गुरु का साथ अथवा मार्गदर्शन होना बहुत जरूरी होता है अन्यथा कुंडलिनी जागरण के नुकसान भी हो सकते हैं। नहीं तो इससे हमें लाभ की जगह हानि भी हो सकती है। जिसके अंदर साहस, धैर्य, दानशीलता, ठहराव, प्रेम, उपकार जैसी चीजें है, वहीं व्यक्ति कुण्डलिनी जागरण का सच्चा अधिकारी है।
कुण्डलिनी जागरण के फायदे (Kundalini Awakening Benefits in Hindi)
- कुंडलिनी जागरण मनुष्य की चेतना को उच्च स्तर पर लेकर जाता है। चेतना का वह स्तर जहां ईश्वर अथवा इस सृष्टि के निर्माता के साथ उसका संबंध पहले से अधिक गहरा हो जाता है।
- कुंडलिनी शक्ति के जागृत होते ही मनुष्य के मन की, शरीर की तथा आत्मा की मलीनता दूर हो जाती है। उसके विचारों में पवित्रता आ जाती है।
- कुण्डलिनी जागरण से मनुष्य का फ़ोकस, याददाश्त तथा आइक्यू लेवल बढ़ जाता है। उसके मन में चल रहे विचारों की गति धीमी हो जाती है। वह व्यर्थ विचारों को तुरंत पहचानकर उनपर विराम लगाने में सक्षम हो जाता है।
- मनुष्य की चेतना शक्ति इतनी सक्रिय हो जाती है कि परिस्थितियों का उस पर कोई फर्क नहीं पड़ता। वह लोगों से तथा परिस्थितियों से स्वयं को आसानी से अनासक्त कर लेता हैं। परिणास्वरूप वह पहले से अधिक शांत तथा खुश रहने लगता हैं।
- इनके साथ ही और भी कई चमत्कारी शक्तियाँ जैसे कि किसी के मन की बात जान लेना, किसी भी वस्तु या व्यक्ति को छूकर उसका अतीत के बारे में जान लेना, होने वाली घटना का पहले से ही अनुमान हो जाना, दिव्य दृष्टि और मानसिक शक्ति प्राप्त हो जाना, अपनी अंतरात्मा से सीधा संपर्क होना आदि शक्तियाँ प्राप्त हो जाती है।
कुंडलिनी जागरण के नुकसान
कुण्डलिनी जागरण एक उच्च कोटि कि अवस्था है जिसे किसी योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिए। इस जागरण का सम्बन्ध शरीर, मन और नाड़ियों के शुद्धिकरण से है और इसमें समय लगता है। कई लोग इसके लाभों को सुनकर नासमझी में किसी भी तरीके से इसे जागृत करने को लालायित हो जातें हैं जो नुक्सान भी पंहुचा सकता है। कुंडलिनी जागरण के फायदे तो आपने जान लिए, अब जानिये इसके क्या नुक्सान हो सकते हैं, आइये जाने –
- शारीरिक और मानसिक तनाव – कुंडलिनी शक्ति का ज़बरदस्ती (असहज तरीके से समय से पूर्व) जागरण शारीरिक और मानसिक तनाव का कारण बन सकता है। यह तनाव मानसिक और शारीरिक रोगों की वजह बन सकता है और संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
- मानसिक समस्याएं – कुंडलिनी जागरण के दौरान, यदि इसे सही मार्गदर्शन के बिना अनुभव किया जाता है, तो यह मानसिक समस्याओं की उत्पत्ति का कारण बन सकता है। इसमें चिंता, डर, अस्थिरता, अवसाद और अन्य मानसिक विकार शामिल हो सकते हैं। अगर आप बिना शरीर और नाड़ियों को शुद्ध किये कुण्डलिनी जागरण का प्रयास करते हो तो हो सकता है कि आपका मानसिक संतुलन बिगड़ जाये।
- भ्रम पैदा होना – इतनी सारी शक्तियों का जब एक साथ बोध होने लगता है तब कई बार मन में भ्रम की स्थिति बनने लगती है। जैसे कहीं पर भी कुछ भी दिखाई देना। बैठे-बैठे लोक परलोक के दर्शन होने का भ्रम या समय में आगे पीछे जाने का भ्रम आदि जैसी चीजें होने लगती है।
- विचारों की अन्तर्दृष्टि – कुंडलिनी जागरण के दौरान अगर योगी अनुभव को नियंत्रित नहीं कर पाता है, तो उसकी मनोदशा पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप, उसे अस्थिर, विचलित और उदासीन महसूस हो सकता है। जब मनुष्य दिव्या दृष्टि पाता है, तब वह भूतकाल या भविष्य की घटनाओ को भी देख सकता है तो वो इसे सम्हाल नहीं पाता और घबरा जाता है। ऐसे में अगर उसका कोई योग्य गुरु नहीं है तो वह मानसकिक रूप से असंतुलित भी भी को सकता है।
- चक्कर आना और सिर दर्द रहना – बहुत बार सिर में दर्द रहने की और चक्कर आने की शिकायत रहने लगती है।
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