Early Morning Mantra in Sanskrit With Meaning In Hindi
पुरातन धार्मिक एवं वैदिक शास्त्रों में हर दिन की शुरुआत शुभ मंत्रों के स्मरण से होती है। कहा जाता है कि किसी भी मंत्र का ध्यानपूर्वक जाप करने से शरीर की आंतरिक शक्तियां जागृत होती हैं। ये शक्तियां सकारात्मक ऊर्जा लेकर आती हैं, जिससे पूरा दिन व्यक्ति ऊर्जा से भरा रहता है और बिगड़े काम धीरे-धीरे बनने लगते हैं। सुबह की सफल शुरुआत करने के लिए निचे लिखे गए मंत्र आपको पूरा दिन ऊर्जावान और सफल बनाये रखेंगे। इनके जाप से आपको सुख, वैभव, धन और समृद्धि.प्राप्त होगी।
सुबह उठकर ईश्वर का , प्रकृति का, धरती माता का, गौ माता का, और सभी देवताओं का धन्यबाद करना चाहिए, जिनके आशीर्वाद और सहयोग के बिना इस धरती पर जीवन मुश्किल है।
Morning Mantras In Sanskrit (प्रातःकाल स्मरणीय पांच मंत्र संस्कृत में)
प्रातःकाल जागते ही सबसे पहले दोनों हाथों की हथेलियों के दर्शन का विधान बताया गया है। आपका दिन शुभ और सफल हो, इसके लिए हथेली और उसके बाद भगवान का दर्शन करें। आंख खुलते ही बिस्तर पर बैठ जाएं और अपने दोनों हाथों को देख कर इस मंत्र का जाप करें। मान्यता है कि सुबह उठते ही इस मंत्र को पढ़कर अपने हाथों के दर्शन करना लाभदायक होता है।
कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविन्द, प्रभाते कर दर्शनम्।।
अर्थ – हथेलियों के अग्रभाग में भगवती लक्ष्मी, मध्य भाग में विद्यादात्री सरस्वती और मूल भाग में भगवान गोविन्द का निवास है। मैं अपनी हथेलियों में इनका दर्शन करता हूं।
इसके बाद धरती मां को प्रणाम करें नीचे दिया गया मंत्र बोलें। इससे विशेष फल की प्राप्ति होती है और पूरा दिन अच्छा जाता है।
समुद्र वसने देवी, पर्वत स्तन मंडले।
विष्णु पत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्व मे।।
अर्थ – हे देवी (भूमि देवी), आप में समुद्र वास करता हैं, और पर्वत आपकी छाती के रूप में हैं,
हे भगवान विष्णु की पत्नी, आपको नमस्कार है; कृपया मेरे चरणों के स्पर्श को क्षमा करें (पृथ्वी पर, जो आपका पवित्र शरीर है)।
तत्पश्चात इस मंत्र के साथ भगवान सूर्यदेव को नमन करें। मान्यता है कि इससे घर में साकारात्मक ऊर्जा आती है और धन की वृद्धि होती है।
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते।।
अर्थ – (श्री सूर्यदेव को नमस्कार), आपको मेरा नमस्कार ,हे आदिदेव (प्रथम देव), कृपया मुझ पर कृपा करें हे भास्कर (चमकते हुए तारे),
आपको मेरा नमस्कार, हे दिवाकर (दिन के निर्माता), और फिर से आपको नमस्कार, हे प्रभाकर (प्रकाश के निर्माता), आपको मेरा नमस्कार है ।
इसके बाद इस मंत्र का जाप करें
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी,भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः,कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥१॥
अर्थ – ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी मंत्र का अर्थ: हे ब्रह्मा, हे विष्णु, हे शिव आप तीनों से ही इस सृष्टि पर सब कुछ चलती है। हे तीनों लोकों के स्वामी आप सूर्य, चंद्रमा, भूमि, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु सभी ग्रहों को शांत करें।
और अंत में इस पांचवे मंत्र को जपें
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव,त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं।।
अर्थ – ‘हे भगवान! तुम्हीं माता हो, तुम्हीं पिता, तुम्हीं बंधु, तुम्हीं सखा हो। तुम्हीं विद्या हो, तुम्हीं द्रव्य, तुम्हीं सब कुछ हो। तुम ही मेरे देवता हो।’