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पितृ पक्ष, श्राद्ध की सरल विधि, तर्पण विधि व सावधानियां
पितृ पक्ष का हिन्दू धर्म में बहुत ही अधिक महत्व होता है।। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष का बहुत अधिक महत्व है। पितृ पक्ष के 15 दिनों में पितरों की पूजा, तर्पण और पिंडदान करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इस पक्ष में विधि विधान से पितर सम्बंधित कार्य करने से पितरों (पूर्वजो) का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पितृ पक्ष की शुरुआत भादव माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृपक्ष रहता है। धार्मिक मान्यताओ के अनुसार पितृपक्ष के दौरान पितर सम्बंधित कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पितृदोष क्या है
पितरों के नाराज होने के लक्षण लोगों को हर रोज देखने को मिल जाते हैं. जिसमें घर में कलेश बढ़ना या फिर आपके घर में कोई भी मंगल कार्य का ना होना, हर किसी से अनबन, लड़ाई-झगड़ा बढ़ना, मन मुटाव होना, यह सब पितृ दोष का एक कारण हो सकता है. पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध और तर्पण करना जरूरी माना जाता है. इस अवधि के दौरान, श्राद्ध अनुष्ठान करने में मदद करने वाले ब्राह्मण पुजारियों को भोजन, कपड़े और दान देना फलदायी माना जाता है.
पितृपक्ष 2022 में कब से शुरू है
10 सितंबर को भाद्रपद मास की अंतिम तिथि पूर्णिमा है। इस दिन से 25 सितंबर तक रोज पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि काम किए जाएंगे। पूर्णिमा तिथि के श्राद्ध भादौ पूर्णिमा पर किए जा सकते हैं। नीचे शारणी मे आप सारे पितृ पक्ष की तिथि देख सकते है।
पूर्णिमा श्राध्द | 10 सितम्बर 2022 |
प्रतिपदा श्राध्द | 10 सितम्बर 2022 |
द्वितीया श्राध्द | 11 सितम्बर 2022 |
तृतिया श्राध्द | 12 सितम्बर 2022 |
चतुर्थ श्राध्द | 13 सितम्बर 2022 |
पंचमी श्राध्द | 14 सितम्बर 2022 |
षष्ठ श्राध्द | 15 सितम्बर 2022 |
सप्तमी श्राध्द | 16 सितम्बर 2022 |
अष्ठमी श्राध्द | 18 सितम्बर 2022 |
नवमी श्राध्द | 19 सितम्बर 2022 |
दशमी श्राध्द | 20 सितम्बर 2022 |
एकादशी श्राध्द | 21 सितम्बर 2022 |
द्वादसी श्राध्द | 22 सितम्बर 2022 |
त्रयोदशी श्राध्द | 23 सितम्बर 2022 |
चतुर्दशी श्राध्द | 24 सितम्बर 2022 |
अमावस्या श्राध्द | 25 सितम्बर 2022 |
कुछ ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बिंदु –
- पितृ पक्ष में पितरों से सम्बंधित कार्य करने से व्यक्ति के जीवन में खुशियां आती है।
- इस पक्ष में श्राद्ध तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
- पितर दोष से मुक्ति के लिए इस पक्ष में श्राद्ध करना शुभ माना जाता है।
- पितर पक्ष में एक दीपक ज़रूर जलाना चाहिए पितरों के नाम ख़ुशी आये।
श्राद्ध की सरल विधि
पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान के बाद भोजन की तैयारी करें. भोजन को पांच भागों में विभाजित करके ब्राह्मण भोज कराएं। श्राद्ध के दिन ब्राह्मण भोज से पहले पंचबली भोग लगाना जरूरी होता है. नहीं तो श्राद्ध को पूरा नहीं माना जाता। पंचबली भोग में गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और देव आते हैं। इन्हें भोग लगाने के बाद ही ब्राह्मण भोग लगाया जाता है. उन्हें दान-दक्षिणा देने के बाद सम्मान के साथ विदा करें। ऐसा करके भी श्राद्ध कर्म की पूर्ति की जाने की मान्यता है।
पितृपक्ष तर्पण विधि
पितृपक्ष में हर दिन पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए। तर्पण के लिए आपको कुश, अक्षत्, जौ और काला तिल का उपयोग करना चाहिए। तर्पण करने के बाद पितरों से प्रार्थना करें और गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
पितृ पक्ष में बरतें ये सावधानी
पितृपक्ष में पितरों की प्रसन्नता के लिए जो भी श्राद्ध कर्म करते हैं, उन्हें इस दौरान बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए। साथ ही इन दिनों में घर पर सात्विक भोजन ही बनाना है। तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। यदि पितरों की मृत्यु की तिथि याद है तो तिथि अनुसार पिंडदान करें सबसे उत्तम होता है।