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मां कात्यायनी मंत्र, कात्यायनी माता की कथा, आरती lyrics
माँ कात्यायनी देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं और उन्हें नवरात्रि के छठे दिन उनके छठे रूप में पूजा जाता है। देवी पार्वती ने राक्षस महिषासुर का विनाश करने के लिए देवी कात्यायनी का रूप धारण किया। देवी कात्यायनी दिव्य नारी शक्ति की सबसे उग्र अभिव्यक्ति हैं, क्योंकि वह एक योद्धा के रूप में प्रकट होती हैं।आज हम आपके लिए यहाँ लाये हैं कात्यायनी माता की कथा व आरती lyrics, मां कात्यायनी मंत्र फॉर मैरिज व प्रार्थना मंत्र और शीघ्र विवाह के लिए ऐसे करें मां कात्यायनी की पूजा।
माँ कात्यायनी देवी विभिन्न पवित्र ग्रंथों में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में प्रकट होती हैं। कात्यायनी माँ को उनका नाम ऋषि कात्यायन से मिला, जिनकी वह बेटी थीं। ऋषि कात्यायन भी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने माँ दुर्गा के स्वरूप में उनकी पूजा की थी। एक शक्तिशाली शेर पर सवार, उन्हें अपने दोनों दाहिने हाथों में तलवार और कमल का फूल लिए हुए दिखाया गया है, जबकि उनके बाएं हाथ अभय और वरद मुद्रा में हैं।
कात्यायनी माता की कथा
राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए देवी पार्वती ने माँ कात्यायनी का रूप धारण किया था। हिंदू पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, एक राक्षस महिषासुर था, जिसके अत्याचारों ने पृथ्वी पर हाहाकार मचा दिया था और हर दिन ये और अधिक विकराल रूप धारण कर रही थी। महिषासुर ने अपने अहंकार में अपना उद्देश्य पृथ्वी और देवताओं पर विजय पाने का बना लिया था और। तब सभी देवताओं ने उससे बचने के लिए माँ दुर्गा से प्रार्थना की। तब माँ दुर्गा ने कात्यायनी का रूप धारण किया, फिर देवताओं की शक्तियों और हथियारों से सुसज्जित होकर उस दम्भी राक्षस को ललकारा। देवी कात्यायनी और महिषासुर का महासंग्राम शुरू हुआ। महिषासुर मायावी था और उसने अपना रूप बदलना शुरू कर दिया, जिनमें से एक रूप भैंसे का भी था। तब माँ दुर्गा अपने सिंह से उत्तरी और महिषासुर की पीठ पर चढ़ीं और उसके सिर पर प्रहार कर उसे मार डाला।
माँ कात्यायनी मंत्र
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
मां कात्यायनी का प्रार्थना मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
मां कात्यायनी का ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥
शीघ्र विवाह के लिए ऐसे करें मां कात्यायनी की पूजा
सर्वप्रथम गोधूलि वेला में पीले वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात मां के समक्ष दीपक जलाएं और उन्हें पीले फूल अर्पित करें। फिर तीन गांठ हल्दी की चढ़ाएं।
अब मां कात्यायनी के निम्न मंत्र का जाप करें –
“कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।”
जिन हल्दी की गांठों को आपने चढ़ाया था, उन्हें अपने पास सुरक्षित रख लें। अब मां कात्यायनी को शहद अर्पित करें।
कात्यायनी माता की आरती
जय जय अम्बे जय कात्यायनी। जय जग माता जग की महारानी॥
बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहा वरदाती नाम पुकारा॥
कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥
हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥
हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते॥
कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥
झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥
बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥
हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥
जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥
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