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भागवत पुराण | Bhagavata Purana का महत्व, कथा और इतिहास
भागवत पुराण (Bhagavata Purana) को वैष्णव परंपरा में सबसे श्रेष्ठ पुराण माना गया है। इसे श्रीमद्भागवत महापुराण भी कहा जाता है। इसमें कुल 12 स्कन्ध और 18,000 श्लोक हैं, जिनमें भगवान विष्णु और विशेष रूप से श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं का वर्णन है। यह पुराण भक्तिमार्ग, धर्म, मोक्ष और परमात्मा के साक्षात्कार का मार्ग दिखाता है।
भागवत पुराण की कथा राजा परीक्षित और शुकदेव जी के संवाद पर आधारित है। इसमें सृष्टि की उत्पत्ति, भक्तों की कथाएँ, ध्रुव-प्रह्लाद-अजामिल चरित्र और श्रीकृष्ण जन्म से लेकर रासलीला तक की दिव्य कथाएँ आती हैं। इसे सुनने मात्र से पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भागवत पुराण की कथा जीवन का सार है, जिसमें भक्ति, धर्म, ज्ञान और मोक्ष का अद्भुत मेल है।
भागवत पुराण का महत्व
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भक्ति का सर्वोच्च ग्रंथ – यह पुराण ज्ञान, कर्म और योग से ऊपर भक्ति को सर्वोच्च साधन मानता है।
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धार्मिक-आध्यात्मिक मार्गदर्शन – जीवन में धर्म, नीति और ईश्वर प्रेम का मार्ग दिखाता है।
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श्रीकृष्ण चरित्र का विस्तार – भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल, गोपियों के साथ रासलीला और कुरुक्षेत्र तक की कथा शामिल है।
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मोक्ष का मार्ग – सत्संग, नामजप और भक्ति के माध्यम से मुक्ति की शिक्षा देता है।
भागवत पुराण का इतिहास
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भागवत पुराण को महर्षि वेदव्यास ने रचा।
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उन्होंने इसे अपने पुत्र शुकदेव जी को सुनाया, और शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को।
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कथा का प्रसंग है – जब राजा परीक्षित को शाप मिला कि 7 दिन में उनकी मृत्यु होगी, तब उन्होंने शुकदेव जी से यह अमृतमयी कथा सुनी।
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यही कथा आज भी भागवत कथा सप्ताह के रूप में सुनाई जाती है।
भागवत पुराण के 12 स्कन्धों का संक्षिप्त सार
प्रथम स्कन्ध – परिचय और परीक्षित की कथा
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राजा परीक्षित को शाप लगने की कथा।
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शुकदेव मुनि का आगमन।
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भागवत महात्म्य का प्रारंभ।
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पांडवों का अंतकाल और श्रीकृष्ण का द्वारका प्रस्थान।
द्वितीय स्कन्ध – विश्वरूप और भक्ति का स्वरूप
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ब्रह्मांड की संरचना का वर्णन।
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विष्णु का विराट रूप।
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भक्ति के मार्ग का महत्व और मोक्ष प्राप्ति का साधन।
तृतीय स्कन्ध – कपिल गीता और सृष्टि का रहस्य
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विदुर और मैत्रेय संवाद।
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कपिल मुनि की सांख्य योग शिक्षा।
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दिति-पुत्र हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष का जन्म।
चतुर्थ स्कन्ध – भक्त प्रह्लाद और ध्रुव चरित्र
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ध्रुव की कठोर तपस्या और भगवान विष्णु का दर्शन।
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राजा वेण, राजा पृथु और उनके अवतार की कथा।
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भक्त प्रह्लाद की प्रारंभिक कथाएँ।
पंचम स्कन्ध – ऋषभदेव और जडभरत कथा
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राजा प्रियव्रत और उनके वंश का वर्णन।
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ऋषभदेव और उनके पुत्र भरत की कथा।
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जडभरत की महिमा।
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ब्रह्मांड का भूगोल और लोकों का विवरण।
षष्ठ स्कन्ध – अजामिल मोक्ष कथा
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अजामिल का पापमय जीवन और अंतिम क्षण में “नारायण” नाम का उच्चारण।
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यमदूत और विष्णुदूत संवाद।
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नाम-स्मरण का महत्व।
सप्तम स्कन्ध – प्रह्लाद चरित्र और नरसिंह अवतार
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हिरण्यकशिपु का अत्याचार।
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प्रह्लाद की भक्ति और भगवान नरसिंह का प्राकट्य।
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धर्म, भक्ति और भगवान के अवतारों का महत्व।
अष्टम स्कन्ध – समुद्र मंथन और वामन अवतार
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देवताओं और दैत्यों द्वारा समुद्र मंथन।
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अमृत प्रकट होना।
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वामन अवतार और बलि महाराज की कथा।
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गजेंद्र मोक्ष की कथा।
नवम स्कन्ध – राजवंश और रामकथा
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सूर्यवंश और चंद्रवंश का वर्णन।
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भगवान श्रीराम की कथा।
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अन्य राजाओं की जीवनी और उनके उपदेश।
दशम स्कन्ध – श्रीकृष्ण जन्म और लीलाएँ (सबसे महत्वपूर्ण)
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कंस वध की भविष्यवाणी और श्रीकृष्ण का कारागार में जन्म।
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बाल्यकाल की अद्भुत लीलाएँ – पूतना वध, कालिया नाग दमन, गोवर्धन धारण।
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रासलीला और गोपियों का भक्ति रहस्य।
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मथुरा आगमन, कंस वध और द्वारका स्थापना।
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महाभारत और कुरुक्षेत्र के उपदेश।
Note – यह स्कन्ध भागवत पुराण का हृदय माना जाता है।
एकादश स्कन्ध – उद्धव गीता
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श्रीकृष्ण द्वारा उद्धव को अंतिम उपदेश।
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भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का महत्व।
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यदुवंश का अंत।
द्वादश स्कन्ध – कलियुग और मोक्ष
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कलियुग की भविष्यवाणियाँ।
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राजा परीक्षित का तक्षक नाग से मोक्ष प्राप्त करना।
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भागवत पुराण के श्रवण और कीर्तन से मुक्ति का महत्व।
निष्कर्ष
भागवत पुराण के 12 स्कन्ध केवल कथाएँ ही नहीं बल्कि जीवन, धर्म, भक्ति और मोक्ष का संपूर्ण मार्गदर्शन हैं। विशेषकर दशम स्कन्ध, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाएँ वर्णित हैं, सम्पूर्ण भागवत का हृदय है। यह हमें सिखाता है कि सच्चा धर्म ईश्वर प्रेम, भक्ति और सदाचार है।
FAQs on Bhagavata Purana Katha
Q1. भागवत पुराण किसने लिखा है?
👉 महर्षि वेदव्यास ने।
Q2. भागवत पुराण में कितने श्लोक हैं?
👉 लगभग 18,000 श्लोक।
Q3. भागवत पुराण सुनने का लाभ क्या है?
👉 पापों का नाश, भक्ति की प्राप्ति और मोक्ष।
Q4. भागवत कथा कितने दिन की होती है?
👉 परंपरागत रूप से 7 दिन (सप्ताह) में सुनाई जाती है।
Q5. भागवत पुराण किस देवता को समर्पित है?
👉 मुख्यतः भगवान विष्णु और विशेष रूप से श्रीकृष्ण।
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