आज इस लेख में जानेंगे कि महाशिवरात्रि कब है इस साल, महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है, और क्या हैं महाशिवरात्रि व्रत नियम?
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महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
महाशिवरात्रि हिन्दुओं का प्रमुख धार्मिक पर्व है। ये पावन पर्व फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के ही दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे। शिव-भक्तों के इस महापर्व के दिन वे व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं। महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धा के साथ माता पार्वती और शिव की पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों पर भगवान भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं। वैसे तो भोले शंकर की पूजा करने के लिए हर दिन शुभ होता है, लेकिन महाशिवरात्रि का अलग ही महत्व होता है। इस दिन भगवान भोले शंकर की पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि के दिन देशभर के सभी शिव मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। महाशिवरात्रि की रात्रि में अध्यात्म में दिलचस्पी रखने वाले लोग पूरी रात्रि साधना करते हैं। यह शुभ अवसर साल में एक बार ही आता है। इसे महाशिवरात्रि इसलिए भी कहते हैं क्योंकि 12 शिवरात्रों में महाशिवरात्रि को सबसे ज्यादा शक्तिशाली और प्रभावी माना गया है।
महाशिवरात्रि कब है 2024
साल 2024 में 8 मार्च को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 8 मार्च को संध्याकाल 09 बजकर 57 मिनट पर होगी। इसका समापन अगले दिन 09 मार्च को संध्याकाल 06 बजकर 17 मिनट पर होगा। शिव जी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए उदया तिथि देखना जरूर नहीं होता है। ऐसे में इस साल महाशिवरात्रि का व्रत 8 मार्च 2024 को रखा जाएगा।
महाशिवरात्रि 2024 पूजा मुहूर्त
8 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की पूजा का शाम का समय 06 बजकर 25 मिनट से 09 बजकर 28 मिनट तक है। इसके अलावा चार प्रहर का मुहूर्त इस प्रकार है-
महाशिवरात्रि 2024 चार प्रहर मुहूर्त
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – शाम 06 बजकर 25 मिनट से रात 09 बजकर 28 मिनट तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – रात 09 बजकर 28 मिनट से 9 मार्च को रात 12 बजकर 31 मिनट तक
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – रात 12 बजकर 31 मिनट से प्रातः 03 बजकर 34 मिनट तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – प्रात: 03.34 से प्रात: 06:37
निशिता काल मुहूर्त – रात में 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक (9 मार्च 2024)
व्रत पारण समय – सुबह 06 बजकर 37 मिनट से दोपहर 03 बजकर 28 मिनट तक (9 मार्च 2024)
महाशिवरात्रि व्रत नियम
- जिस दिन चतुर्दशी निशीथव्यापिनी हो, उसी दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। यह ध्यान रखें कि महाशिवरात्रि की मुख्य पूजा निशीथ काल में होती है।
- निशीथ काल हमेशा मध्यरात्रि में 12 बजे के आसपास ही आता है।
- रात्रि काल के आठवें मुहूर्त को निशीथ काल कहते हैं। यानी चतुर्तशी तिथि में आठवां मुहूर्त पड़ रहा हो तो उस दिन महाशिवरात्रि मनाने का शास्त्रोक्त नियम है।
- 8 मार्च को रात्रि को ही चतुर्दशी तिथि में निशीथकाल रहेगा इसलिए महाशिवरात्रि 8 मार्च को ही मनाई जाएगी। इसमें उदयातिथि का महत्व नहीं रहता है।
- शिवरात्रि के एक दिन पहले यानी त्रयोदशी तिथि के दिन केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करके व्रत प्रारंभ करना चाहिए।
- अगले दिन, यानी चतुर्दशी के दिन सुबह नित्य कर्म करने के पश्चात्, पुरे दिन के व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- व्रत के संकल्प के दौरान यदि आपकी कोई मनोकामना या संकल्प हो तो उसे दोहराना चाहिए।
- निशीथकाल की पूजा के बाद अगले दिन ही व्रत खोलना चाहिए।
- महाशिवरात्रि पर सुबह से लेकर रात्रि तक हर प्रहर में शिवजी की पूजा करनी चाहिए।
- तांबे या मिट्टी के लोटे में पानी या दूध लेकर ऊपर से बेलपत्र, आंकड़श, धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए।
- आप शिव पुराण का पाठ, या महामृत्युंजय मंत्र का जाप, या शिव जी के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय’ का जाप कर सकते हैं।
- महाशिवरात्रि के सन्ध्याकाल स्नान करने के पश्चात् ही पूजा करने और मन्दिर जाने का महत्व है।
- अंत में निशीथ काल में विधि विधान से शिवजी की पूजा करना चाहिए।
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