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भगवद्गीता सार | जीवन के लिए गीता का संदेश
श्रीमद्भगवद्गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शक है। यह ग्रंथ महाभारत के युद्धक्षेत्र कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए दिव्य उपदेशों का संकलन है। गीता सार हमें बताता है कि कैसे धर्म, कर्म और भक्ति के संतुलन से जीवन को सफल बनाया जा सकता है।
गीता का सार (Essence of the Gita)
- जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वह भी अच्छा होगा।
- तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर आए, जो लिया यहीं से लिया। जो दिया, यहीं पर दिया। जो लिया, इसी (भगवान) से लिया। जो दिया, इसी को दिया।
- खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझकर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।
- परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो।
- न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और इसी में मिल जाएगा, परंतु आत्मा स्थिर है- फिर तुम क्या हो?
- तू कर्म कर, फल की चिंता मत कर। जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान को अर्पण करता चल। ऐसा करने से सदा जीवनमुक्त का आनंद अनुभव करेगा।
- क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा न पैदा होती है, न मरती है।
- तुम अपने आपको भगवान को अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है। जो इसके सहारे को जानता है, वह भय, चिंता व शोक से सर्वदा मुक्त है।
- मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है – जैसा विश्वास, वैसा जीवन।
- क्रोध, लोभ, और मोह – ये तीन नरक के द्वार हैं।
- ज्ञान, ध्यान और भक्ति – मोक्ष के तीन रास्ते हैं।
- जो हुआ उसे स्वीकार करो, जो नहीं हुआ उसकी चिंता मत करो।
- धर्म की रक्षा के लिए मैं युग-युग में जन्म लेता हूं।
गीता का उद्देश्य
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मन और आत्मा का संतुलन बनाना
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धर्म और कर्तव्य का पालन
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भय, मोह और संशय से मुक्त होना
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स्व-ज्ञान और आत्मोन्नति की ओर बढ़ना
गीता हमें क्या सिखाती है?
गीता सिखाती है कि जीवन एक परीक्षा है, और मनुष्य को निस्वार्थ कर्म करते हुए भगवान में अडिग विश्वास रखना चाहिए। यह ग्रंथ अध्यात्म, मानवता, और सत्य के मार्ग की ओर ले जाता है।
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