कई लोग तर्पण करना चाहते हैं, लेकिन सही तरीका और मंत्र न जानने के कारण रुक जाते हैं। वास्तव में सरल पितृ तर्पण विधि जान लें तो कोई भी व्यक्ति घर पर श्रद्धा के साथ तर्पण कर सकता है। यह पोस्ट उन लोगों के लिए है जो सरल भाषा में पितृ तर्पण विधि इन हिंदी सीखना चाहते हैं।
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पितृ तर्पण विधि इन हिंदी: क्यों किया जाता है तर्पण
ऐसा माना जाता है कि तर्पण करने से पितृ तृप्त होते हैं और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
श्राद्ध पक्ष, अमावस्या, और विशेष तिथियों पर यह विशेष फलदायी माना जाता है।
तर्पण का मूल भाव है स्मरण, कृतज्ञता और धन्यवाद।
सरल पितृ तर्पण विधि: घर पर कैसे करें
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सुबह स्नान करें और साफ कपड़े पहनें
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शांत और स्वच्छ स्थान चुनें
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सामने एक लोटा पानी, काला तिल, फूल रखें
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दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें
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जल में थोड़ा तिल मिलाएँ
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नीचे दिए तर्पण मंत्र संस्कृत के साथ जल अर्पित करें
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि तर्पण पूरी श्रद्धा और शांति के साथ किया जाए।
पितृ तर्पण विधि मंत्र: अर्थ और उच्चारण
नीचे तर्पण के समय बोले जाने वाले सामान्य और प्रचलित मंत्र दिए गए हैं।
साथ में अर्थ और रोमन उच्चारण भी है ताकि बोलना आसान रहे।
तर्पण मंत्र संस्कृत: ओम् आगच्छन्तु मे पितर
देवनागरी:
ओम् आगच्छन्तु मे पितर, एवम् ग्रहन्तु जलान्जलिम
रोमन:
Om agachchhantu me pitar, evam grahantu jalanjalim
अर्थ:
हे पितरों, कृपया पधारें और यह जल स्वीकार करें।
कितनी बार बोलें:
जल अर्पित करते समय 3 बार।
तर्पण मंत्र संस्कृत: गोत्र सहित तर्पण मंत्र
देवनागरी:
गोत्रे अस्मत् पिता (नाम) तृप्यताम्, इदं तिलोदकम्, तस्मै स्वधा नमः
रोमन:
Gotre asmat pita (naam) tripyatam, idam tilodakam, tasmai svadha namah
अर्थ:
हमारे पूर्वज इस तर्पण से तृप्त हों, उन्हें स्वधा समर्पित है।
कितनी बार बोलें:
हर पितृ के लिए 3 बार।
तर्पण मंत्र संस्कृत: ओम् पितृभ्यो स्वधायिभ्यो नमः
देवनागरी:
ॐ पितृभ्यो स्वधायिभ्यो नमः
रोमन:
Om pitribhyo svadhayibhyo namah
अर्थ:
सभी पितृगणों को स्वधा सहित नमस्कार।
कितनी बार बोलें:
कम से कम 3 बार, चाहें तो 11 बार भी कर सकते हैं।
तर्पण के लिए एक सरल ध्यान मंत्र
देवनागरी:
ॐ पितृगणाय विद्महे, तन्नः पितुः प्रचोदयात्
रोमन:
Om pitriganaya vidmahe, tannah pituh prachodayat
अर्थ:
हम पितरों का स्मरण करते हैं, वे हमें सही मार्ग दिखाएँ।
कब बोलें:
तर्पण शुरू करने से पहले 1 से 3 बार।
सरल पितृ तर्पण विधि: सही समय और कुछ नियम
तर्पण सुबह सूर्य उगने के बाद और दोपहर से पहले करना उत्तम माना जाता है।
ध्यान रखें:
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तर्पण के समय क्रोध या बहस से बचें
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ज़मीन पर बैठकर तर्पण करें
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भोजन या जल का अनावश्यक अपव्यय न करें
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संभव हो तो बाद में किसी जरूरतमंद को भोजन दें
तर्पण विधि से ज्यादा महत्वपूर्ण है आपकी भावना।
यदि तर्पण श्रद्धा और कृतज्ञता के साथ किया जाए, तो सरल पितृ तर्पण विधि भी पूर्ण फल देती है।
इन तर्पण मंत्र संस्कृत और पितृ तर्पण विधि इन हिंदी के निर्देशों का पालन करके कोई भी व्यक्ति घर पर सहजता से तर्पण कर सकता है।
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