“वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्” यह प्रसिद्ध संस्कृत श्लोक भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति में रचा गया है। इसे कृष्णाष्टकम कहा जाता है। इस श्लोक का पाठ करने से भक्तजन मानसिक शांति, पापों का नाश और भक्ति की गहराई का अनुभव करते हैं। विशेष रूप से जन्माष्टमी, पूजा और भजन संध्या में इसे पढ़ना अत्यंत शुभ माना जाता है। यहाँ हम आपको वसुदेव सुतं देवं Lyrics संस्कृत में और उसके भावार्थ (Meaning in Hindi) प्रस्तुत कर रहे हैं। आप कृष्णाष्टकम् अर्थ सहित pdf में भी डाउनलोड कर सकते हैं।
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वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम् श्लोक Lyrics संस्कृत में
श्लोक 1
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्
देवकीपरमानन्दं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥ 1 ॥
भावार्थ:
वसुदेव और देवकी के पुत्र, कंस और चाणूर का संहार करने वाले, जगद्गुरु श्रीकृष्ण को प्रणाम।
श्लोक 2
आतसीपुष्पसंकाशम् हारनूपुरशोभितम्
रत्नकण्कणकेयूरं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥ 2 ॥
भावार्थ:
आतसी पुष्प की तरह सुंदर, हार व नूपुर से अलंकृत श्रीकृष्ण को प्रणाम।
श्लोक 3
कुटिलालकसंयुक्तं पूर्णचंद्रनिभाननम्
विलसत्कुण्डलधरं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥ 3 ॥
भावार्थ:
घुँघराले केश और पूर्णिमा चाँद जैसे मुख वाले, सुंदर कुण्डल पहनने वाले श्रीकृष्ण को प्रणाम।
श्लोक 4
मंदारगन्धसंयुक्तं चारुहासं चतुर्भुजम्
बर्हिपिञ्छावचूडाङ्गं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥ 4 ॥
भावार्थ:
मंदार पुष्प की सुगंध से युक्त, मधुर मुस्कान वाले, चतुर्भुज श्रीकृष्ण को प्रणाम।
श्लोक 5
उत्फुल्लपद्मपत्राक्षं नीलजीमूतसन्निभम्
यादवानां शिरोरत्नं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥ 5 ॥
भावार्थ:
कमल-पत्र जैसे नेत्रों वाले, मेघ के समान श्याम वर्ण श्रीकृष्ण को प्रणाम।
श्लोक 6
रुक्मिणीकेलिसंयुक्तं पीतांबरसुशोभितम्
अवाप्ततुलसीगन्धं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥ 6 ॥
भावार्थ:
रुक्मिणी के साथ विहार करने वाले, पीतांबर धारण करने वाले श्रीकृष्ण को प्रणाम।
श्लोक 7
गोपिकानां कुचद्वन्द्व कुंकुमाङ्कितवक्षसम्
श्री निकेतं महेष्वासं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥ 7 ॥
भावार्थ:
गोपिकाओं के प्रेम से सुशोभित, लक्ष्मी निवास श्रीकृष्ण को प्रणाम।
श्लोक 8
श्रीवत्साङ्कं महोरस्कं वनमालाविराजितम्
शङ्खचक्रधरं देवं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥ 8 ॥
भावार्थ:
श्रीवत्स चिह्न वाले, वनमाला और शंख-चक्र धारण करने वाले श्रीकृष्ण को प्रणाम।
श्लोक 9
कृष्णाष्टकमिदं पुण्यं प्रातरुत्थाय यः पठेत्
कोटिजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनष्यति ॥ 9 ॥
भावार्थ:
जो भक्त प्रतिदिन प्रातःकाल इस कृष्णाष्टकम का पाठ करता है, उसके करोड़ों जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
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FAQ – वसुदेव सुतं देवं Lyrics
Q1: वसुदेव सुतं देवं श्लोक किसके लिए समर्पित है?
A: यह श्लोक भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति में रचा गया है।
Q2: वसुदेव सुतं देवं कब पढ़ा जाता है?
A: इसे सुबह, पूजा, जन्माष्टमी और भजन संध्या में पढ़ा जाता है।
Q3: वसुदेव सुतं देवं श्लोक पढ़ने का लाभ क्या है?
A: इसके पाठ से मानसिक शांति, पापों का नाश और भक्ति की शक्ति प्राप्त होती है।
Q4: क्या वसुदेव सुतं देवं श्लोक कृष्णाष्टकम है?
A: हाँ, यह संस्कृत श्लोक “कृष्णाष्टकम” के नाम से प्रसिद्ध है।
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