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बवासीर के कारण और योग में इससे आराम पाने के उपाय
बवासीर चूँकि शरीर के मल मार्ग मे होता है इसलिये अधिकतर लोग इसकी बात नही करते है। हम इस लेख मे बवासीर के कारण जानेने और साथ ही हम देखेंगे की योग के द्वारा इसे कैसे ठीक किया जा सकता है। कई बार तेज लाइफस्टाइल और अनियमित खानपान की वजह से हमें कई तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियां हो जाती हैं। योग के द्वारा आप इन में से अधिकतर बिमारियों से आसानी से मुक्ति पा सकते हैं।
खराब लाइफस्टाइल के कारण होने वाली प्रमुख समस्या बवासीर या हेमोरॉयड्स (Hemorrhoids) भी है। इसे अंग्रेजी में पाइल्स (Piles) भी कहा जाता है। इसके कई कारण हैं, जैसे कि अपच, बिगाड़ा हुआ खानपान, मोटापा, इत्यादि। यौगिक तकनीकी न केवल बवासीर के लक्षणों को कम करने में बल्कि बवासीर के वास्तविक कारण को खत्म करने में भी मदद करती है।
बवासीर के कारण
- पेट मे कब्ज का होना
- अधिक मोटापा
- परिवार मे किसी को पहले से हो
- ज्यादा खडे रहने के कारण
- अधिक वजन उठने के कारण
बवासीर के लिये योगासन
इस आर्टिकल में हम बवासीर की समस्या से राहत देने वाले 5 योगासनों के बारे में जानकारी देंगे। इन योगासनों के नियमित अभ्यास से बवासीर की समस्या से राहत पाई जा सकती है। ध्यान रहे योगासन के साथ-साथ आपको अपने आहार – विहार – और विचार पर भी ध्यान देना होगा। तभी आपको अच्छा रिजल्ट मिलेगा।
बवासीर के लिये करें ये 5 आसन
- पवनमुक्तासन
- सर्वागासन
- मालासन
- शशांकासन
- अर्ध मत्स्येन्द्रासन
पवनमुक्तासन (Pawanmukhtasana / Wind Relieving Pose)
पवनमुक्तासन का अर्थ हवा (गैस) छोडने से है। यह योगासन पेट और आंतों में फंसी अतिरिक्त गैस को बाहर निकालने में मदद करता है। साथ ही साथ यह पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है जिससे हमे कई बीमारियों से राहत मिलती है। पवनमुक्तासन का अभ्यास करते समय पेट पर कोमल और कठोर दबाव एक साथ पड़ता है। इस आसन के अभ्यास से फंसी हुई गैसों को छोड़ने और पेट के निचले हिस्से में दिक्कत को कम करने में मदद मिल सकती है। ये आसन गुदा में मांसपेशियों के तनाव को कम करने में भी मदद करता है।
सर्वागासन
सर्वागासन का अर्थ है सम्पूर्ण शरीर का आसन से है, अर्थात ऐसा आसन जो पूरे शरीर के अंगो के लिये लाभदायक हो। इस योग के अभ्यास से रक्त संचार पैर से गुदा की ओर होता है। इससे गुदा में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। ये स्थिति खून बहने की स्थिति और बवासीर के गंभीर लक्षणों को भी कम करने में सहायता करती है। यह मल त्याग के दौरान गुदा पर पड़ने वाले दबाव से हो रहे दर्द को कम करने में भी मदद करेगा। । जैसा की आप चित्र मे देख सकते है। यह योग बवासीर से पीडीत लोगो के लिये बेहद फायदेमंद होता है।
सर्वागासन के अन्य फायदे
- कंधा और गर्दन को मजबूत बनाता है।
- हाथ, पैर, और रीढ की हड्डी को भी मजबूत बनाता है।
- मस्तिष्क मे खून की सप्लाई सही करता है।
- कब्ज से राहत देता है।
- वबासीर से पीडीत लोगो के लिये बेहद फायदेमंद होता है।
- हाईट बढाने मे मददगार है।
मालासन (Malasana / Garland Pose)
मालासन कब्ज को रोकने में मदद कर सकता है जो कि बवासीर के सबसे सामान्य कारणों में से एक है। ये आसन न केवल आपकी रीढ़, कूल्हों और नितंबों पर काम करता है, बल्कि पूरे पाचन तंत्र के कामकाज को संतुलित करते हुए पेट को फैलाता और सिकोड़ता है।
शशांकासन
शशांकासन वबासीर के रोगियों के लिये बेहद फायदेमद है। इसे आप नीचे दिये गये चित्र के अनुसार कर सकते है। शशांकासन गुदा की ओर रक्त के संचार को बढ़ाने में योगदान कर सकता है। ये योगासन कब्ज को कम करने में भी मदद कर सकता है। शशांकासन की मुद्रा में कम से कम एक मिनट तक रहें या जब तक आप सहज हों।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana / Sitting Half Spinal Twist)
अर्ध मत्स्येन्द्रासन सबसे महत्वपूर्ण व लाभकारी आसनो मे से एक है यह आसन पेट के सभी अंग जैसे – किडनी, यकृत ,अग्न्याशय आदि को प्रभावित होते है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन में शरीर को ट्विस्ट करना आपके पाचन तंत्र को बहुत जरूरी बूस्ट प्रदान कर सकता है। जैसे-जैसे पेट की परेशानी कम होती है, आप महसूस करेंगे कि आपकी कमजोरी गायब हो गई है। रुकी हुई जीवन शक्ति या ऊर्जा स्वतंत्र रूप से प्रवाहित होने लगेगी। इसे आप नीचे दिये गये चित्र के अनुसार कर सकते है
बवासीर गम्भीर बीमरियो मे से एक है इसलिये समय रहते इसका इलाज कराना बेहद जरुरी होता है बिना डाक्टटरकी सलाह के किसी भी दवा का सेवन ना करे। लेख मे बताये गये योगासनो से अगर आप को दिक्कत महसूस हो तो इसे ना करे।