दीनन दुख हरन देव एक प्रसिद्ध भजन है, जो भक्त कवि सूरदास जी द्वारा रचा गया है। इस भजन में भगवान श्रीकृष्ण के उस स्वरूप का वर्णन है, जो सदा ही अपने भक्तों के दुख हरकर उनकी रक्षा करते हैं।
यह भजन हमें यह संदेश देता है कि चाहे भक्त कितना भी पापी क्यों न हो, यदि वह सच्चे मन से भगवान का स्मरण करता है तो भगवान तुरंत उसकी सहायता के लिए उपस्थित होते हैं।
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Deenan Dukh Haran Dev Lyrics – दीनन दुख हरन देव के बोल
दीनन दुख हरन देव, सन्तन हितकारी ।
अजामील गीध व्याध, इनमें कहो कौन साध,
पंछी को पद पढ़ात, गनिका-सी तारी ।
ध्रुव के सिर छत्र देत, प्रहलाद को उबार देत,
भक्त हेत बांध्यो सेत, लंकपुरी जारी ।
तंदुल देत रीझ जात, सागपात सों अघात,
गिनत नहीं जूँठे फल, खाटे-मीठे-खारी ।
गज को जब ग्राह ग्रस्यो, दुस्सासन चीर हरयो,
सभा बीच कृष्ण-कृष्ण द्रौपदी पुकारी ।
इतने हरि आइ गये, बसनन आरूढ़ भये,
सूरदास द्वारे ठाढ़ो, आँधरो भिखारी ।
भजन का अर्थ और महत्व (Meaning & Significance)
इस भजन में भगवान के करुणामयी स्वरूप का वर्णन है:
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अजामील, गीध और व्याध – पापी जीवन जीने के बावजूद भगवान ने उनका उद्धार किया।
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ध्रुव और प्रह्लाद – बचपन से ही भक्तिभाव रखने वाले भक्तों को भगवान ने विशेष कृपा दी।
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गजेंद्र मोक्ष – जब हाथी ग्राह से संकट में पड़ा, तो भगवान तुरंत प्रकट हुए।
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द्रौपदी चीरहरण – भगवान ने भक्त की पुकार सुनकर उसकी लाज बचाई।
👉 संदेश यह है कि भक्त जब सच्चे मन से भगवान को पुकारता है, तो वह तुरंत मदद करते हैं।
दीनन दुख हरन देव पाठ करने के लाभ
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मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।
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कठिन परिस्थितियों में आत्मविश्वास मिलता है।
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जीवन में भक्ति और श्रद्धा बढ़ती है।
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कष्ट और बाधाओं का निवारण होता है।
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यह भजन नकारात्मक विचारों को दूर कर सकारात्मकता लाता है।
FAQs on Deenan Dukh Haran Dev
Q1. “दीनन दुख हरन देव” किसने लिखा है?
👉 यह भजन भक्त कवि सूरदास जी द्वारा लिखा गया है।
Q2. इस भजन का मुख्य संदेश क्या है?
👉 भगवान सदा भक्तों के दुख दूर करते हैं, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में क्यों न हो।
Q3. इस भजन का पाठ कब करना चाहिए?
👉 सुबह और शाम भक्ति भाव से पाठ करने से मन को शांति और आत्मबल मिलता है।
Q4. क्या इस भजन से कष्ट दूर होते हैं?
👉 हाँ, श्रद्धा और विश्वास के साथ इस भजन का पाठ करने से बाधाएँ दूर होती हैं और मानसिक शांति मिलती है।
निष्कर्ष
“दीनन दुख हरन देव” केवल एक भजन नहीं, बल्कि यह भक्त और भगवान के गहरे रिश्ते का प्रतीक है। इसमें संदेश है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों के हर दुख को हरने वाले हैं। यदि हम सच्चे भाव से उनका स्मरण करें, तो जीवन के हर संकट से मुक्ति मिल सकती है।
इसलिए, भक्तों को चाहिए कि वे इस भजन का नियमित पाठ करें और जीवन में शांति, शक्ति और ईश्वर की कृपा प्राप्त करें।