गरुड़ गायत्री मंत्र के लिरिक्स एवं लाभ
गरुड़ गायत्री मंत्र एक सिद्ध और शक्तिशाली मंत्र है। इस मंत्र के पाठ से मनुष्य के सर्व पापों का नाश होता है।नकारात्मकता का नाश होता है। गरुड़ गायत्री मंत्र भगवान गरुड़ को समर्पित गायत्री मंत्र है। गरुड़ पक्षियों के राजा हैं और भगवान विष्णु के पूजनीय वाहन हैं। माना जाता है कि गरुड़ लोगों को उनकी मृत्यु के बाद विष्णु-लोक में ले जाते हैं। गरुड़ सांपों का शाश्वत शत्रु है और जहर और अन्य नकारात्मक प्रभावों से बचाता है। इस गरुड़ गायत्री मंत्र का प्रयोग साधक के आसपास के काले जादू, कर्ज और तंत्र को दूर करने के लिए किया जाता है।
गरुड़ गायत्री मंत्र एक सुरक्षात्मक मंत्र है। यह पारंपरिक रूप से सांपों के डर के लिए, सांप के काटने के उपचार के लिए और बुखार के लिए भी पढ़ा जाता है। भय और चिंता को दूर करने लिए भी पढ़ा गरुड़ गायत्री मंत्र पढ़ा जाता है।
ॐ तत्पुरूषाय विद्महे, सुवर्णपक्षाय धीमहि, तन्नो गरुड: प्रचोदयात् ||
Om Tatpurushay Vidmahe Suvarnpakshaay Dheemahi Tanno Garudah Prachodayat ||
Meaning – We meditate on Garuda, the Great Soul, the manifestation of Supreme Consciousness. May He, who has golden wings, give me clarity. Oh Garuda, please bring me enlightenment and inspiration.
इस मंत्र का अर्थ इस प्रकार से है – मैं महान प्राणी के रूप आपको प्रणाम करता हूं, ओह! अदभुत एवं सुनहरे पंखो वाले पक्षी, मुझे उच्च बुद्धि प्रदान करे और आर्शीवाद दें और हे भगवान गरुड़ जी आप मेरे दिमाग पर प्रकाश डालें। इस प्रकार सदबुद्धि की कामना से इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है।
ॐ पक्षिराजाय विद्महे पक्षिदेवाय धीमहि तन्नो पक्षिः प्रचोदयात् ||
Om PakshiRajay Vidmahe Pakshidevaay Dheemahi Tanno Pakshi Prachodayat ||
ॐ वैनतेयाय विद्महे सुवर्णपक्षाय धीमहि तन्नो गरुडः प्रचोदयात् ॥