योग में शुद्धि क्रियाओं (Shatkarma) का विशेष महत्व बताया गया है। इन्हीं में से एक प्रमुख क्रिया है जल नेति। यह क्रिया नाक की शुद्धि (Nasal Cleansing) के लिए की जाती है और इसका उल्लेख हठयोग प्रदीपिका तथा घेरंड संहिता जैसे प्राचीन योग ग्रंथों में मिलता है।
जल नेति के फायदे अत्यंत चमत्कारी हैं क्योंकि यह नाक की शुद्धि के साथ मन और शरीर दोनों को संतुलित करती है। यह योगिक क्रिया (शुद्धि क्रिया) नासिका मार्गों से अशुद्धियों को निकालने के लिए की जाती है। जल नेति का नियमित अभ्यास सर्दी-जुकाम, एलर्जी, माइग्रेन और साइनस जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है। आयुर्वेद और योग के अनुसार, जल नेति श्वसन तंत्र को शुद्ध कर ध्यान और प्राणायाम अभ्यास को भी अधिक प्रभावी बनाती है।
Table of Contents
जल नेति की विधि (Jal Neti Steps in Hindi)
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सबसे पहले एक नेति पॉट (Neti Pot) तैयार करें।
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उसमें गुनगुना पानी भरें और आधा चम्मच सेंधा नमक (Rock Salt) मिलाएं।
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एक आरामदायक आसन में बैठ जाएं।
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सिर को थोड़ा एक ओर झुकाएं ताकि एक नथुने का मार्ग ऊपर और दूसरा नीचे हो जाए।
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नेति पॉट की नली ऊपर वाले नथुने में धीरे से लगाएं।
- अपने मुँह को खुला रखकर उसीसे श्वसन लेते रहे।
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धीरे-धीरे पानी को अंदर डालें। यह पानी दूसरे नथुने से बाहर आएगा।
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यही प्रक्रिया दूसरी ओर से भी करें।
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दोनों नथुनों से पानी निकलने के बाद सिर को झुकाकर धीरे-धीरे नाक से श्वास छोड़ते हुए शेष पानी निकालें।
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अंत में कुछ क्षण कपालभाति प्राणायाम करें ताकि पूरी नासिका मार्ग सूख जाए।
जल नेति के फायदे (Benefits of Jal Neti in Hindi)
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🌸 नाक, साइनस और श्वसन मार्ग को शुद्ध करता है
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🌸 सर्दी-जुकाम, एलर्जी और धूल-मिट्टी से होने वाले संक्रमण से राहत देता है
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🌸 सांस लेने में सहूलियत और फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है
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🌸 मानसिक तनाव, सिरदर्द और माइग्रेन से राहत देता है
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🌸 ध्यान और एकाग्रता में सुधार करता है
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🌸 नाक से जुड़ी बीमारियों जैसे साइनसाइटिस और नाक बंद होना में लाभकारी
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🌸 आँखों की रोशनी और चेहरे की चमक बढ़ाने में सहायक
जल नेति करते समय सावधानियां (Precautions for Jal Neti)
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केवल साफ और उबला हुआ गुनगुना पानी ही प्रयोग करें।
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नमक की मात्रा अधिक या कम न रखें – लगभग आधा चम्मच प्रति आधा लीटर पानी।
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अभ्यास के बाद नाक को पूरी तरह सुखाना आवश्यक है, वरना सर्दी हो सकती है।
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यदि नाक में कोई संक्रमण या चोट है तो अभ्यास न करें।
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शुरुआती लोग प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में ही इसे करें।
जल नेति करने का उपयुक्त समय
जल नेति का सबसे अच्छा समय सुबह खाली पेट होता है।
आप चाहें तो शाम के समय भी इसे कर सकते हैं, परंतु भोजन के 2 घंटे बाद ही अभ्यास करें।
जल नेति से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)
Q1. क्या जल नेति रोज़ कर सकते हैं?
👉 हाँ, अगर आप स्वस्थ हैं तो जल नेति का दैनिक अभ्यास किया जा सकता है, विशेषकर सुबह के समय।
Q2. जल नेति के बाद क्या करना चाहिए?
👉 जल नेति के बाद कपालभाति प्राणायाम अवश्य करें ताकि नाक में बचा हुआ पानी निकल जाए।
Q3. क्या सर्दी-जुकाम में जल नेति कर सकते हैं?
👉 हल्की सर्दी में कर सकते हैं, परंतु यदि नाक पूरी तरह बंद हो, तो अभ्यास न करें।
Q4. क्या बच्चे जल नेति कर सकते हैं?
👉 हाँ, लेकिन केवल प्रशिक्षित योग शिक्षक या अभिभावक की देखरेख में।
निष्कर्ष
जल नेति योग क्रिया शरीर और मन दोनों की शुद्धि का अद्भुत साधन है। यह न केवल श्वसन तंत्र को मजबूत करता है बल्कि एकाग्रता और ध्यान को भी बढ़ाता है। यदि आप इसे नियमित रूप से करते हैं तो यह आपके जीवन में नई ताजगी और स्वास्थ्य का संचार करेगा।
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4 Comments
Nice
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