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ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने मंत्र – अर्थ और लाभ
“ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने नमः” मंत्र भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित एक अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र मंत्र है। इस मंत्र का जप करने से भक्त को ईश्वर की कृपा, आंतरिक शांति, भक्ति की गहराई और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति की प्राप्ति होती है। यह मंत्र प्रायः ध्यान, पूजा और भक्ति-साधना के समय जपा जाता है।
मंत्र (श्लोक) संस्कृत एवं उच्चारण
संस्कृत:
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने नमः ॥
उच्चारण (Transliteration):
Om Krishnaya Vasudevaya Haraye Paramatmane Namah ॥
मंत्र का शब्दार्थ और भावार्थ
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ॐ – आदि अनादि नाद, ब्रह्मांड का मूल स्वर।
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कृष्णाय – भगवान श्रीकृष्ण को, जो सबको अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
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वासुदेवाय – वसुदेव के पुत्र को; साथ ही वह ईश्वर जो प्रत्येक प्राणी में विद्यमान हैं।
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हरये – जो दुख, पाप और मोह का हरण करते हैं।
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परमात्मने – उस परमात्मा को, जो जन्म-मृत्यु से परे, शाश्वत सत्य हैं।
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नमः – नमन, प्रणाम।
भावार्थ:
“मैं भगवान श्रीकृष्ण को नमन करता हूँ, जो वसुदेव के पुत्र हैं, जो दुख और पाप का नाश करने वाले हैं, और जो सबके भीतर विद्यमान परमात्मा हैं।”
इस मंत्र के जप से मिलने वाले लाभ
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नकारात्मकता का नाश – मन और हृदय की अशुद्धियों को दूर करता है।
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भक्ति की वृद्धि – श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और श्रद्धा गहरी होती है।
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मानसिक शांति – ध्यान और एकाग्रता में सहायक।
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संरक्षण और मुक्ति – बुरे प्रभावों से रक्षा करता है और मोक्ष की ओर ले जाता है।
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ऊर्जा और स्वास्थ्य – सकारात्मक तरंगें उत्पन्न करता है, जिससे तन और मन स्वस्थ रहते हैं।
इस मंत्र का जप कैसे करें?
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स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें।
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पद्मासन या वज्रासन में बैठें।
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तुलसी की माला से 108 बार जप करें।
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सर्वश्रेष्ठ समय: प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त या संध्या समय।
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जप करते समय मन को भगवान कृष्ण के स्वरूप पर केंद्रित रखें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1: इस मंत्र का जप क्यों करना चाहिए?
A1: यह मंत्र शांति, भक्ति, ईश्वर की कृपा और मोक्ष की प्राप्ति के लिए जपा जाता है।
Q2: क्या इसे कोई भी जप सकता है?
A2: हाँ, कोई भी व्यक्ति इसे श्रद्धा और भक्ति से जप सकता है।
Q3: प्रतिदिन कितनी बार जप करना चाहिए?
A3: सर्वोत्तम 108 बार, लेकिन 11 या 21 बार भी पर्याप्त है यदि श्रद्धा हो।
Q4: क्या यह केवल वैष्णव भक्तों के लिए है?
A4: नहीं, यह मंत्र सार्वभौमिक है और कोई भी जप सकता है।
Q5: क्या इसे मन ही मन जपा जा सकता है?
A5: हाँ, मंत्र का जप मन ही मन, धीमे स्वर में या ऊँचे स्वर में किया जा सकता है।
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने नमः मंत्र भगवान श्रीकृष्ण की अनंत कृपा और ऊर्जा का द्वार खोलता है। इसके जप से मनुष्य के जीवन में शांति, आनंद, सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति आती है। यदि इसे श्रद्धा और नियमितता से जपा जाए तो यह मंत्र भौतिक और आध्यात्मिक दोनों जीवन को दिव्य बना देता है।
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