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सर्पासन योग करने की विधि, लाभ और सावधानियां
सर्पासन योग की अंतिम स्थिति में शरीर की मुद्रा एक सर्प के समान होती है और इसीलिए इसे सर्पासन का नाम दिया गया है। सर्पासन पेट के बल लेट कर किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण योगाभ्यास है। यह आसन फेफड़ों को फैलाता है और इसीलिए यस दमा के रोगियों के लिए बहुत ही उपयोगी आसन बन जाता है। साथ ही साथ यह आसन ह्रदय को शक्तिशाली और मज़बूत बनता है। यह योगाभ्यास पीठ को भी स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है।
सर्पासन योग करने की विधि
- योग मैट के ऊपर पेट के बल लेट जाएं।
- अपने पंजों को एक साथ रखें एवं पैर सीधे रखें।
- अपने नितम्बों पर अपनी दोनों बाहों को खिंच कर दोनों हाथों की अँगुलियों को इनटरलॉक करें।
- अपनी ठुड्डी को जमीन पर रखें।
- थोड़े समय के लिए सामान्य रूप से सांस लें।
- यह प्रारम्भि स्थिति है।
- श्वास लें और पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों का उपयोग करते हुए, अपनी छाती को फर्श से जितना हो सके ऊपर उठाएं।
- हाथों को और पीछे धकेलें, और भुजाओं को जितना हो सके उतना ऊपर उठाएं।
- कल्पना करें कि भुजाओं को पीछे की ओर खिंचा जा रहा है।
- शरीर को जितना हो सके उतना ऊपर उठाएं, वह भी बगैर किसी तनाव के।
- अपनी शोल्डर ब्लेड्स को एक साथ सिंकोड़ते हुए सामने की और देखें।
- श्वास को रोकते हुए जितनी देर इस स्थिति में आरामपूर्वक रुक सकतें हैं, रुकें।
- फिर श्वास छोड़ते हुए अपनी प्रारम्भि स्थिति में आ जाएं, और शवासन में विश्राम करें।
- यह एक चक्र हुआ।
- इस तरह से पांच चक्र करें।
सर्पासन योग करने के फायदे
- सर्पासन गोल कन्धों को सही करने में मदद करता है।
- सर्पासन के नियमित अभ्यास से पीठ की मांसपेशियां और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है।
- सर्पासन का अभ्यास फेफड़ों की निष्क्रिय पड़ी वायु थैलियों को खोलता है, जिस से ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता बढ़ती है, और इसीलिए यस दमा के रोगियों के लिए बहुत ही उपयोगी आसन बन जाता है।
- यह आसन ह्रदय को शक्तिशाली और मज़बूत बनता है।
- इसका नियमित अभ्यास पेट के अंगों जैसे लीवर, किडनी और पाचन अंगों को स्वस्थ करता है।
- यह अंडाशय और गर्भाशय को भी टोन करता है और मासिक धर्म और अन्य स्त्री रोग संबंधी समस्याओं में मदद करता है।
- सर्पासन के अभ्यास से अवरुद्ध भावनाएं भी मुक्त को जाती हैं।
सर्पासन करते वक्त बरतें ये सावधानियां
- इस आसन को हृदय रोग और उच्च रक्तचाप वाले लोगों को नहीं करना चाहिए।
- पेप्टिक अल्सर, हर्निया, आंतों के तपेदिक से ग्रसित रोगियों को योग शिक्षक की सलाह के अनुसार ही इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।
सर्पसन पीछे झुकने वाले आसनो में से एक है। इसके बाद आगे की ओर झुकने वाले आसन जैसे कि सलभासन और शशांकासन कर सकते हैं।
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