“वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ” भगवान गणेश जी का एक अत्यंत प्रसिद्ध और शक्तिशाली मंत्र है। हिंदू परंपरा में किसी भी शुभ कार्य, पूजा, यज्ञ या नए कार्य की शुरुआत से पहले श्री गणेश का आह्वान किया जाता है ताकि सभी बाधाएँ दूर हों और कार्य सफल हो।
यह मंत्र गणपति जी के स्वरूप का वर्णन करता है – उनकी घुमावदार सूंड (वक्रतुंड), विशाल काया (महाकाय) और करोड़ों सूर्य के समान तेजस्विता (सूर्यकोटि समप्रभ)। इस मंत्र का नियमित जाप भक्त को बुद्धि, विवेक, समृद्धि और सफलता प्रदान करता है।
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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ श्लोक
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ मंत्र का अर्थ
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वक्रतुण्ड = घुमावदार सूंड वाले
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महाकाय = विशाल शरीर वाले
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सूर्यकोटि समप्रभ = करोड़ों सूर्य के समान तेजस्वी
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निर्विघ्नं कुरु = विघ्न दूर कर दो
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मे देव = हे प्रभु
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सर्वकार्येषु सर्वदा = मेरे सभी कार्यों में, हमेशा
अर्थ:
हे वक्रतुंड गणेश! हे महाकाय प्रभु! जो करोड़ों सूर्य के समान प्रकाशमान हैं, कृपया मेरे सभी कार्य बिना किसी विघ्न के पूर्ण करें।
मंत्र का महत्व
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इस मंत्र का जप हर कार्य को सफल बनाने और विघ्न बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है।
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यह मंत्र भक्त की एकाग्रता, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
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घर, व्यापार और जीवन के सभी कार्यों में सफलता प्रदान करता है।
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गणेश चतुर्थी, बुधवार और चतुर्थी तिथि को इसका जप विशेष फलदायी होता है।
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ मंत्र के लाभ
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विघ्न बाधा दूर करना: जीवन के हर क्षेत्र में आने वाली रुकावटें समाप्त होती हैं।
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ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति: विद्यार्थी और साधक को एकाग्रता, स्मरण शक्ति और विवेक की प्राप्ति होती है।
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धन और समृद्धि: व्यवसाय और करियर में सफलता, उन्नति और आर्थिक सुख मिलता है।
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आध्यात्मिक उन्नति: भक्त को आंतरिक शांति, सकारात्मक सोच और अध्यात्मिक बल मिलता है।
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सभी देवताओं की कृपा: गणेश जी के आह्वान से अन्य देवताओं की पूजा भी सफल होती है।
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ मंत्र जाप विधि
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प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
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पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें।
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गणेश जी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक और धूप जलाएँ।
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इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
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कार्य की सफलता या विशेष मनोकामना के लिए कम से कम 21 दिन तक नियमित जाप करें।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1: वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ मंत्र कब जपना चाहिए?
👉 सुबह स्नान के बाद या किसी भी शुभ कार्य से पहले इसका जाप करना श्रेष्ठ होता है।
Q2: इस मंत्र का कितनी बार जाप करना चाहिए?
👉 108 बार जाप सर्वश्रेष्ठ है, लेकिन कम से कम 11 बार अवश्य करें।
Q3: वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ मंत्र का सबसे बड़ा लाभ क्या है?
👉 यह मंत्र जीवन से सभी विघ्न-बाधाओं को दूर कर सफलता और सुख-समृद्धि प्रदान करता है।
Q4: क्या यह मंत्र विद्यार्थी भी जप सकते हैं?
👉 हां, विद्यार्थी और साधक दोनों इस मंत्र का जाप कर सकते हैं, इससे बुद्धि और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
निष्कर्ष
“वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ” भगवान गणेश का अत्यंत प्रभावशाली मंत्र है। इसका नियमित और श्रद्धापूर्वक जाप करने से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं, सफलता मिलती है और सुख-समृद्धि आती है। किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले इस मंत्र का स्मरण अवश्य करें और गणेश जी की कृपा पाएं।
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2 Comments
Ganesha Shloka of Vakratunda Mahakaya in Hindi are well explained. when i was child i was know the shloka but not know meaning. Thanks for sharing your knowledge with us.
Most welcome Sir