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मंगल भवन अमंगल हारी द्रवहु सुदसरथ अजर बिहारी अर्थ सहित
भजन “मंगल भवन अमंगल हारी” भगवान श्रीराम को समर्पित है। इसे गाने या सुनने से मन की नकारात्मकता दूर होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यह भजन रामचरितमानस से लिया गया है, जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा था।
भक्त इस भजन को घर, मंदिर, कीर्तन और पूजन के समय गाते हैं ताकि भगवान राम का आशीर्वाद मिले और सभी कार्य शुभ हो सकें।
मंगल भवन अमंगल हारी लिरिक्स
मंगल भवन अमंगल हारी,
द्रवउ सुधासरथ अजिर बिहारी।
राम सिया राम सिया राम जय जय राम॥
👉 जो शुभ लाते हैं और अमंगल दूर करते हैं, वे दशरथ नंदन श्रीराम हैं।
होई है सोई जो राम रचि राखा,
को करि तरक बढ़ावे साखा।
राम सिया राम सिया राम जय जय राम॥
👉 जो कुछ भगवान राम ने लिखा है वही होगा, मनुष्य उसे बदल नहीं सकता।
धीरेज धरम मित्र अरु नारी,
आपद काल परखिए चारी।
राम सिया राम सिया राम जय जय राम॥
👉 धैर्य, धर्म, मित्र और पत्नी – इन चारों की परख कठिन समय में होती है।
जेहि के जेहि पर सत्य सनेहू,
सो तेहि मिलै न कछु संदेहू।
राम सिया राम सिया राम जय जय राम॥
👉 जिसे जिस पर सच्चा प्रेम होता है, वह उसे अवश्य प्राप्त करता है।
जाकी रही भावना जैसी,
रघु मूरति देखि तिन तैसी।
राम सिया राम सिया राम जय जय राम॥
👉 मनुष्य भगवान को वैसा ही देखता है, जैसी उसकी भावना और भक्ति होती है।
रघुकुल रीति सदा चली आई,
प्राण जाए पर बचन न जाई।
राम सिया राम सिया राम जय जय राम॥
👉 रघुकुल की परंपरा यही रही है कि प्राण चले जाएं पर वचन कभी न टूटे।
हरि अनंत हरि कथा अनंता,
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता।
राम सिया राम सिया राम जय जय राम॥
👉 भगवान अनंत हैं और उनकी कथा भी अनंत है। संतजन इसे अनेक रूपों में कहते और सुनते रहते हैं।
मंगल भवन अमंगल हारी का महत्व
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भगवान श्रीराम को सुख और शांति के दाता तथा सभी अमंगल के हरने वाले बताया गया है।
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यह भजन हमें धैर्य, धर्म और सच्चे रिश्तों का महत्व समझाता है।
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इसमें बताया गया है कि मन की भावना के अनुसार भगवान का अनुभव होता है।
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यह रघुकुल परंपरा की याद दिलाता है जिसमें वचन का पालन जीवन से भी बढ़कर था।
लाभ (Benefits)
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नकारात्मक ऊर्जा और दुखों को दूर करता है।
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जीवन में शुभ कार्यों की सफलता बढ़ाता है।
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परिवार में सुख, शांति और सौहार्द लाता है।
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मानसिक बल, धैर्य और श्रद्धा बढ़ाता है।
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भक्ति और भगवान श्रीराम से गहरा संबंध स्थापित करता है।
FAQs
Q1: “मंगल भवन अमंगल हारी” कहाँ से लिया गया है?
👉 यह गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखित रामचरितमानस से लिया गया है।
Q2: इसे कब गाना या पढ़ना चाहिए?
👉 इसे रोजाना, पूजा, राम नवमी, कीर्तन या किसी भी शुभ अवसर पर गा सकते हैं।
Q3: “मंगल भवन अमंगल हारी” का अर्थ क्या है?
👉 इसका अर्थ है — श्रीराम शुभ लाने वाले और अमंगल दूर करने वाले हैं।
Q4: क्या इसे सामान्य भाषा में गा सकते हैं?
👉 हाँ, इसे हिंदी या सरल उच्चारण में गाने से भी वही फल मिलता है।
“मंगल भवन अमंगल हारी” केवल एक भजन नहीं बल्कि एक जीवन का संदेश है, जो हमें भगवान श्रीराम की भक्ति, धैर्य, सच्चाई और धर्म की शिक्षा देता है। इसके जाप से जीवन में सुख, शांति, धैर्य और शुभता आती है।
✨ जब भी मन दुखी हो, याद करें —
“राम सिया राम, सिया राम जय जय राम”
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