भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में शक्ति पीठों (Shakti Peeths) का स्थान सर्वोपरि है। ये स्थान केवल तीर्थ ही नहीं बल्कि भक्ति और शक्ति के जीवंत केंद्र माने जाते हैं। पुराणों के अनुसार जब माता सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित होकर अग्नि कुंड में देह त्याग दी, तब भगवान शिव शोक और क्रोध से व्याकुल होकर उनके शरीर को लेकर तीनों लोकों में विचरण करने लगे। तब सृष्टि के संतुलन को बनाए रखने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को खंडित कर दिया और उनके विभिन्न अंग पृथ्वी पर गिर पड़े। जहाँ-जहाँ ये अंग गिरे, वही स्थान शक्ति पीठ कहलाए।
आज ये 51 शक्ति पीठ माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना के प्रमुख स्थल हैं। प्रत्येक शक्ति पीठ की अपनी अलग कथा, स्वरूप और विशेषता है। यहां केवल देवी माँ की पूजा ही नहीं होती, बल्कि यह स्थान आत्मिक शांति, शक्ति, और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का माध्यम भी हैं। यही कारण है कि भक्त मानते हैं कि इन शक्ति पीठों की यात्रा जीवन की कठिनाइयों को दूर करती है और भक्ति को पूर्णता प्रदान करती है।
Table of Contents
Importance of 51 Shakti Peeth
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यह शक्ति और भक्ति के संगम स्थल हैं।
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हर शक्ति पीठ किसी न किसी अंग या आभूषण से जुड़ा है।
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यहां देवी माँ के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है।
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हर पीठ का अपना ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है।
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भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
51 Shakti Peeth List with Locations
नीचे दी गई सूची में सभी 51 शक्ति पीठों का नाम और स्थान शामिल हैं:
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कामाख्या देवी – असम (गुहावटी)
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त्रिपुरा सुंदरी – त्रिपुरा
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कालिका देवी – कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
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ज्वाला जी – हिमाचल प्रदेश
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नैना देवी – हिमाचल प्रदेश
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चिंतपूर्णी देवी – हिमाचल प्रदेश
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हिंगलाज माता – बलूचिस्तान (पाकिस्तान)
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वैकुण्ठवासिनी देवी – बिहार
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मंगलाचंडी देवी – ओडिशा
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भीमेश्वरी देवी – नेपाल
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महालक्ष्मी देवी – महाराष्ट्र (कोल्हापुर)
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महाकाली देवी – उज्जैन (मध्य प्रदेश)
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शाकंभरी देवी – राजस्थान
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हिंगलाज माता – सिंधु प्रांत (पाकिस्तान)
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सुंदरी देवी – बांग्लादेश
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तारा तारिणी – ओडिशा
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कमला देवी – कमला नदी, नेपाल
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वैकुंठवासिनी – बिहार
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श्रीशैलम (मल्लिकार्जुन) – आंध्र प्रदेश
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गिरिजा देवी – नेपाल
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आदि शक्तिपीठ – कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
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भीमेश्वरी देवी – नेपाल
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विंध्यवासिनी देवी – उत्तर प्रदेश
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कामरूपी देवी – असम
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पर्णशक्ति पीठ – कांचीपुरम, तमिलनाडु
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गया शक्ति पीठ – बिहार
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कांची कामाक्षी देवी – तमिलनाडु
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उज्जैनी शक्ति पीठ – उज्जैन
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पुष्कर शक्ति पीठ – राजस्थान
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गंडकी शक्ति पीठ – नेपाल
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सोमनाथ शक्ति पीठ – गुजरात
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कांचीपुरम शक्ति पीठ – तमिलनाडु
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चामुंडा देवी – हिमाचल प्रदेश
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कालिका शक्ति पीठ – पश्चिम बंगाल
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कांची कमलाम्बा – तमिलनाडु
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श्रृंगेरि शक्ति पीठ – कर्नाटक
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कांची कामाक्षी – तमिलनाडु
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भुवनेश्वरी शक्ति पीठ – असम
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जयनगर शक्ति पीठ – बांग्लादेश
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बद्री शक्ति पीठ – उत्तराखंड
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कन्याकुमारी शक्ति पीठ – तमिलनाडु
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हिंगुला शक्ति पीठ – ओडिशा
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अमरकंटक शक्ति पीठ – मध्य प्रदेश
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नर्मदा शक्ति पीठ – मध्य प्रदेश
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कालिका देवी – गुजरात
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श्रीशैल शक्ति पीठ – आंध्र प्रदेश
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ललिता शक्ति पीठ – इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)
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मध्यमिका शक्ति पीठ – चित्तौड़गढ़, राजस्थान
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रत्नागिरी शक्ति पीठ – महाराष्ट्र
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गोदावरी शक्ति पीठ – आंध्र प्रदेश
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भीमेश्वरी शक्ति पीठ – असम
51 शक्ति पीठ केवल धार्मिक स्थल नहीं हैं, बल्कि यह सनातन धर्म की शक्ति परंपरा के जीवंत प्रमाण हैं। इन स्थलों से जुड़ी कहानियाँ हमें यह सिखाती हैं कि जब भी अन्याय, अज्ञान या कष्ट बढ़ेगा, तब माँ शक्ति अपने विभिन्न स्वरूपों में प्रकट होकर धर्म और भक्तों की रक्षा करेंगी।
शक्ति पीठों का दर्शन करना मात्र एक तीर्थयात्रा नहीं है, बल्कि यह आत्मिक यात्रा है। यहाँ पहुँचकर मनुष्य अपनी आत्मा से जुड़ता है, नकारात्मकता दूर होती है और ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह आस्था और शक्ति का ऐसा संगम है, जो जीवन को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान करता है।
आज के युग में जब तनाव, भय और असंतोष हर ओर बढ़ रहे हैं, तब शक्ति पीठों की साधना और यात्रा हमें शक्ति, शांति और सकारात्मक सोच प्रदान करती है। इसलिए, हर सनातन धर्म का अनुयायी जीवन में एक बार अवश्य इन शक्ति पीठों का दर्शन करना चाहिए।
FAQs on 51 Shakti Peeth
Q1. 51 शक्ति पीठ क्यों बने?
👉 माता सती के अंग विभिन्न स्थानों पर गिरने से ये शक्ति पीठ बने।
Q2. सबसे प्रसिद्ध शक्ति पीठ कौन सा है?
👉 कामाख्या देवी (असम) और कालिका मंदिर (कोलकाता) सबसे प्रसिद्ध हैं।
Q3. क्या सभी शक्ति पीठ भारत में हैं?
👉 नहीं, कुछ शक्ति पीठ नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी स्थित हैं।
Q4. शक्ति पीठ की यात्रा का महत्व क्या है?
👉 यह यात्रा शक्ति की उपासना का सर्वोत्तम साधन है और मनोकामनाएँ पूर्ण करती है।
Q5. 51 शक्ति पीठ की सूची कहां मिल सकती है?
👉 यह सूची पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है और यहां प्रस्तुत की गई है।
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