Author: Mahendra Kumar Vyas

Mahendra Vyas, born to Late Shri G. L. Vyas and Shrimati Sharda Vyas, did Civil Engineering from M.B.M.Engineering College, Jodhpur. Worked with Mars Group and Aditya Birla Group, became a part of Yoga Niketan, Mumbai in 2002, and since then practicing Yoga.

मंगल भवन अमंगल हारी द्रवहु सुदसरथ अजर बिहारी अर्थ सहित आपके लिए प्रस्तुत है मंगल भवन अमंगल हारी चौपाई लिरिक्स अर्थ सहित। “मंगल भवन अमंगल हारी” के बोल हिंदू धर्म में गहरा आध्यात्मिक महत्व रखते हैं, क्योंकि वे भगवान राम को समर्पित हैं, जो हिंदू देवताओं में सबसे प्रतिष्ठित देवताओं में से एक हैं। यह भक्ति भजन भक्ति और विश्वास की एक शक्तिशाली अभिव्यक्ति है, और इसे आमतौर पर लाखों भक्तों द्वारा भगवान राम के आशीर्वाद का आह्वान करने और उनकी सुरक्षा पाने के लिए गाया या गाया जाता है। मंगल भवन अमंगल हारी लिरिक्स राम सिया राम सिया राम,…

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माँ स्कंदमाता मंत्र, कथा और आरती नवरात्रि के पांचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता कहते हैं। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण माँ स्कंदमाता का उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। माता का अर्थ है माँ और इस प्रकार स्कंदमाता का अर्थ है स्कंद या कार्तिकेय की माँ। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से पुकारा जाता है। यहाँ हम लाएं है आपके लिए मां स्कंदमाता मंत्र,…

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मां चंद्रघंटा की कथा, आरती व मंत्र मां चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं और उनकी पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। माँ चंद्रघंटा का रूप अत्यंत कल्याणकारी और शांतिदायक है। इनके माथे पर अर्ध चंद्रमा का आकार चिन्हित होता है, जिस कारण इन्हें मां चंद्रघंटा कहा जाता है। मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण की तरह चमकीला है। माँ के 10 हाथ हैं जोकि खड्ग और अन्य अस्त्र-शस्त्र से विभूषित हैं। सिंह पर सवार मां चंद्रघंटा की मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने की है। इनकी पूजा करने से न सिर्फ घर पर सुख-समृद्धि आती…

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अश्वत्थ स्तोत्र – Ashwattha Stotram Lyrics अश्वत्थ स्तोत्र पीपल वृक्ष को समर्पित हैं। पीपल की पूजा अर्चना में अश्वत्थ स्तोत्रम् का पाठ किया जाता हैं। यहाँ हम अश्वत्थ स्तोत्र के बारे में बताने जा रहे हैं। श्रीनारद उवाच अनायासेन लोकोऽयम् सर्वान् कामानवाप्नुयात्  । सर्वदेवात्मकं चैकं तन्मे ब्रूहि पितामह ॥ १॥ ब्रह्मोवाच  श्रुणु देव मुनेऽश्वत्थं शुद्धं सर्वात्मकं तरुम् । यत्प्रदक्षिणतो लोकः सर्वान् कामान् समश्नुते ॥ २॥ अश्वत्थाद्दक्षिणे रुद्रः पश्चिमे विष्णुरास्थितः । ब्रह्मा चोत्तरदेशस्थः पूर्वेत्विन्द्रादिदेवताः ॥ ३॥ स्कन्धोपस्कन्धपत्रेषु गोविप्रमुनयस्तथा । मूलं वेदाः पयो यज्ञाः संस्थिता मुनिपुङ्गव ॥ ४॥ पूर्वादिदिक्षु संयाता नदीनदसरोऽब्धयः । तस्मात् सर्वप्रयत्नेन ह्यश्वत्थं संश्रयेद्बुधः ॥ ५॥ त्वं क्षीर्यफलकश्चैव शीतलस्य वनस्पते…

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वरुथिनी एकादशी व्रत कथा और इस व्रत का महत्व वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान श्री कृष्ण का पूजन किया जाता है। पूजा के दिन व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए। यहां पढ़ें वरुथिनी एकादशी की व्रत कथा व महत्त्व। वरुथिनी एकादशी धर्मरा‍ज युधिष्ठिर ने श्री कृष्णा से पूछा कि हे भगवन्! वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है? उसकी विधि क्या है? और उसके करने से क्या फल प्राप्त होता है? तब श्रीकृष्ण ने अपने श्री वचनो से कहा कि हे राजेश्वर!…

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पितृ पक्ष 2023 प्रारंभ दिनांक, और पितृ पक्ष में क्या नहीं करना चाहिए हिन्दू धर्म में, पितृ पक्ष का विशेष महत्व होता है और इसे श्राद्ध पक्ष के रूप में भी जाना जाता है। यह समय पितरों को समर्पित है, जब उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, और पिंडदान किए जाते हैं। हिन्दू धर्म की मान्यतओं के अनुसार पितृ पक्ष में पितर संबंधित कर्म करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है। पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है और यह पक्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के…

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पितृ दोष के लक्षण और निवारण के सरल उपाय जिनकी भी कुंडली में पितृदोष होता है उन्हें कई कष्ट होते है और उनको कई तरह के मानसिक तनाव झेलने पड़ते हैं। इसलिए यह नितांत ही आवश्यक हो जाता है कि पितृदोष के लक्षण को पहचाना जाए और निवारण के उपाय कर इस दोष को शांत किया जाए। आइए जानते हैं कि पितृ दोष क्‍या है, और क्या है उसके कारण, लक्षण और पितृ दोष निवारण के सरल उपाय। क्या होता है पितृ दोष जब किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार विधि-विधान से नहीं किया जाता या फिर…

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Chatushloki Bhagwat (चतुः श्लोकी भागवत) चतु:श्लोकी भगवत् (Chatushloki Bhagwat) के चार श्लोक भगवत गीता की संपूर्ण शिक्षाओं का सारांश प्रस्तुत करते हैं। मन की शुद्धि के लिए यह सवश्रेष्ठ साधन है। इसके पाठ से कलयुग के सभी दोष नष्ट हो जाते हैं और हरि हृदय में अपना निवास बना लेते हैं। चतु:श्लोकी भगवत् में श्री वल्लभ ने वैष्णवों को धर्म (कर्तव्य), अर्थ (भौतिक आवश्यकताएं), काम (वह चीजें जिन्हें वह प्राप्त करना चाहता है) और मोक्ष (मोक्ष) जैसे चार पुरुषार्थों का अर्थ समझाया है। Chatushloki Bhagwat Shlok ज्ञानं परमगुहां मे यद्विज्ञानसमन्वितम् । सरहस्यं तदंगं च ग्रहाण गदितं मया ।।1।। यावानहं यथाभावो…

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द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी मंत्र, माता की कथा, और आरती नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। देवी ब्रह्मचारिणी प्रेम, निष्ठा, बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक हैं। देवी ब्रह्मचारिणी अपने दाहिने हाथ में जप माला और बाएं हाथ में कमंडल रखती हैं। मां ब्रह्मचारिणी ने ही भगवान शिव को पति रूप प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। माँ ब्रह्मचारिणी रुद्राक्ष पहनती हैं। यहाँ हम आपके लिए मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र, आरती और कथा लेकर आएं हैं। ब्रह्मचारिणी माता की कथा कहानी के अनुसार, माता ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री…

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यज्ञ प्रार्थना (हवन प्रार्थना) – पूजनीय प्रभो हमारे यज्ञ संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है- “आहुति, चढ़ावा” और यज्ञ से तात्पर्य है – ‘त्याग, बलिदान, शुभ कर्म’। इस पद्धति में हम अपने प्रिय खाद्य पदार्थों एवं मूल्यवान सुगंधित पौष्टिक द्रव्यों को अग्नि एवं वायु के माध्यम से समस्त संसार के कल्याण के लिए यज्ञ द्वारा वितरित करते हैं। इससे वायु का शोधन होता है और इस पृथ्वी पर सबको आरोग्यवर्धक साँस लेने का अवसर मिलता है। हवन हुए पदार्थ वायुभूत होकर प्राणिमात्र को प्राप्त होते हैं और उनके स्वास्थ्यवर्धन, रोग निवारण में सहायक होते हैं। यज्ञ काल में…

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