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बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए है योग बेस्ट
सभी अभिभावक चाहते हैं कि उनका बच्चा हर प्रकार से स्वस्थ रहे, लेकिन आज के इस रिमोट वाले युग में यह आसान नहीं। ऐसे में उनके लिए निश्चित रूप से सहायक हो सकता है योग। तो क्यों न आज ही इस दिशा में एक हेल्दी क़दम बढ़ाएं और बच्चों को दें योग की शिक्षा, जिसके द्वारा उन्हें मिलेंगे संस्कार, उत्तम शारीरिक स्वास्थ्य, समझदारी, विवेक, स्मरण शक्ति, विवेक इत्यादि।
क्या आपको लगता है कि आपका बच्चा कमज़ोर है ?
जब बच्चे बड़े हो रहे होते हैं तो उनमे बहुत से रासायनिक परिवर्तन होते हैं। इस रासायनिक परिवर्तनों के कारण बच्चे शारीरिक या मानसिक या भावनात्मक रूप से अधिक चंचल हो जाते हैं और अपने आपको केन्द्रित एवं एकाग्र नहीं कर पाते। ऐसा देखा गया हैं कि इसका असर उनकी स्मृति पर भी पड़ता हैं जो विषय वे याद करना चाहते हैं, वह याद नहीं हो पाता। आप सभी ने अनुभव किया होगा कि पढ़ाई तो वे खूब करते हैं, लेकिन जैसे-जैसे परीक्षा के दिन निकट आते जाते हैं, दिल में घबराहट बढ़ती है और रात की पढ़ाई के बाद सबेरे उन्हें याद नहीं रहता कि उन्होंने क्या पढ़ा था। उनके माता-पिता और शिक्षक कहते हैं कि बच्चे की बुद्धि ठीक तरह से विकसित नहीं हुई है। बच्चा पढ़ाई-लिखाई में कमजोर है, उसको पढ़ने-लिखने में और अधिक ध्यान देना चाहिए। लेकिन सच पूछा जाए तो बच्चा कभी पढ़ाई-लिखाई में कमजोर नहीं होता।
हॉर्मोन्स और बच्चों की प्रतिभा
बच्चे के शरीर के भीतर अनेक प्रकार की ग्रन्थियाँ होती हैं। इन ग्रन्थियों से जो हॉर्मोन या रसायन निकलते हैं, वे उसके शरीर और मन के विकास में या तो सहायक होते हैं या बाधक बनते हैं। जब उसके शरीर के भीतर उत्पन्न होने वाले ये रसायन सहायक होते हैं तब उसकी स्मृति, उसकी मेधाशक्ति, उसकी प्रतिभा बहुत तीव्र हो जाती है और थोड़ी-सी पढ़ाई करने पर भी वह अच्छे अंक ले आता है। लेकिन जब यही रसायन बाधक के रूप में आते हैं तब अभिभावक बच्चों को चाहे कितने ही चिकित्सकों, हकीमों, वैद्यों या महात्माओं के पास ले जाएँ, बच्चा ठीक नहीं हो सकता। इन्हीं ग्रन्थियों को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए योग में विविध आसनों के अभ्यास हैं। मैंने यहाँ तीन सबसे प्रभावी और महत्वपूर्ण आसनों को चुना है जिसके बारे में मैंने समझा है कि ये आसन उनके विकास और बुद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ हो सकते हैं।
बच्चों के लिए सर्वश्रेष्ठ हैं ये तीन आसन
शशांकासन
इनमें पहला अभ्यास है शशांकासन। यह अभ्यास अगर सब बच्चे रोज सबेरे उठकर पांच से दस बार करें तो बहुत उत्तम होगा, क्योंकि इस अभ्यास से उन्हें अपने मन को शांत करने में सहायता मिलेगी। क्या आप जानते हैं कि हमारे शरीर में एक विशेष ग्रन्थि है, जिसे एड्रीनल ग्रन्थि कहते और इससे जब रस निकलता है, जिसे एड्रिनलिन कहते हैं, तब शारीरिक और मानसिक उत्तेजना बहुत बढ़ जाती है। उस रस को नियन्त्रित करने में यह आसन बहुत सहायक होता है। शशांकासन के अभ्यास से जब एड्रिनलिन का उत्पादन सन्तुलित होगा, तब शारीरिक और मानसिक चंचलता भी उनमें धीरे-धीरे कम हो जाएगी।
उष्ट्रासन
इसके बाद एक अन्य अभ्यास है उष्ट्रासन। उष्ट्रासन का मतलब होता है, ऊँट के समान आकृति। उष्ट्रासन का अभ्यास मेरुदण्ड एवं पीठ के लिए बहुत उपयोगी है, क्योंकि विज्ञान ने शोध के द्वारा देखा है कि जब हम बहुत देर तक सिर झुकाकर पढ़ते हैं, तो हमारे कन्धे आगे की ओर झुक जाते हैं और पीठ में कूबड़ निकलने लगता है। यह अभ्यास पीठ को सीधा रखने के लिए बहुत उपयोगी है। बच्चों को और उनके अभिभावकों को यह ध्यान में रहना चाहिए कि उनकी पीठ जितनी सीधी रहेगी, और उनका मेरुदण्ड जितना सीधा रहेगा, उनकी मस्तिष्क की प्रतिभा भी उतनी ही जाग्रत होगी और मस्तिष्क की शक्ति एवं क्षमता प्रबल बनेगी।
सर्वांगासन
एक और आसन है, जिसको सर्वांगासन कहते हैं। यह शरीर के लिए बहुत उपयोगी अभ्यास है। इस आसन का प्रभाव गले की एक ग्रन्थि पर पड़ता है, जिसे थॉयराइड ग्रन्थि कहते हैं। यह थॉयराइड ग्रन्थि शरीर के विकास के लिए अत्यन्त उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण है। बचपन में कुछ लोग नाटे रहते हैं. कुछ लोग मोटे रहते हैं, कुछ लोग खोटे रहते हैं। नाटेपन, मोटेपन और खोटेपन को दूर करने के लिए सर्वांगासन का अभ्यास बहुत ही अच्छा रहता है।
ये तीन आसन हैं, जिनका अभ्यास अगर बच्चे रोज़ करेंगे तो वे भविष्य में एक अच्छे मानव के रूप में समाज को एक सही दिशा दे पाएंगे। बच्चे अभी से अपने जीवन में एक सुन्दर संस्कार डालकर अपने समाज एवं राष्ट्र के भविष्य को बना सकते हैं।