गोमुखासन (Gomukhasana) योग का एक प्रसिद्ध आसन है, जिसका अर्थ है “गाय के मुख के समान मुद्रा”। संस्कृत में “गो” का अर्थ है गाय और “मुख” का अर्थ है मुख। यह आसन शरीर की लचीलापन बढ़ाने के साथ-साथ मन को शांत और एकाग्र बनाता है। नियमित अभ्यास से कंधे, पीठ और जांघों में जकड़न दूर होती है और शरीर में ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रहता है।
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गोमुखासन करने की विधि (Steps to Do Gomukhasana)
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योगासन के लिए चटाई पर सीधे बैठें और दोनों पैर सामने की ओर फैलाएँ।
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अब बाएँ पैर को मोड़कर दाएँ कूल्हे के नीचे रखें।
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दाएँ पैर को मोड़कर बाएँ घुटने के ऊपर रखें, ताकि दोनों घुटने एक-दूसरे के ऊपर आ जाएँ।
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दाहिना हाथ सिर के ऊपर से पीछे की ओर मोड़ें।
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बायाँ हाथ पीठ के पीछे से ऊपर की ओर लाएँ और दोनों हाथों को मिलाएँ (या स्ट्रैप का प्रयोग करें)।
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रीढ़ सीधी रखें, नज़र सामने रखें, और धीरे-धीरे श्वास लें।
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इस स्थिति में 30 सेकंड से 1 मिनट तक रहें।
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धीरे-धीरे आसन छोड़ें और दूसरी ओर से दोहराएँ।
Note – संतुलन के लिए हमेशा दोनों ओर समान अभ्यास करें।
गोमुखासन के लाभ (Benefits of Gomukhasana)
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कंधों, छाती और पीठ की जकड़न दूर करता है।
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शरीर की मुद्रा (Posture) को सुधारता है।
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जांघों और कूल्हों का लचीलापन बढ़ाता है।
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सायटिका (Sciatica) और पीठ दर्द में राहत देता है।
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मन को शांत कर तनाव और चिंता को कम करता है।
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गुर्दों को सक्रिय कर शरीर से विषैले तत्व निकालने में मदद करता है।
यह आसन शरीर, मन और आत्मा के बीच सामंजस्य स्थापित करता है।
सावधानियाँ (Precautions)
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यदि कंधे, घुटने या पीठ में चोट हो तो यह आसन न करें।
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शुरुआती साधक हाथ मिलाने में कठिनाई महसूस करें तो बेल्ट/स्ट्रैप का उपयोग करें।
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जबरदस्ती हाथों या पैरों को न मोड़ें।
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अभ्यास से पहले हल्के वार्म-अप आसन करें।
Note – योग में दर्द नहीं, सहजता महत्वपूर्ण है।
आध्यात्मिक महत्त्व (Spiritual Significance)
गोमुखासन केवल शारीरिक लाभों के लिए नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि का प्रतीक भी है।
गाय को हिंदू धर्म में पवित्र माना गया है — यह करुणा, शांति और सहनशीलता का प्रतीक है।
यह आसन साधक को विनम्रता और आंतरिक शांति की ओर ले जाता है, जिससे अहंकार का नाश और आत्म-संतुलन की प्राप्ति होती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्र.1: गोमुखासन कब करना चाहिए?
👉 सुबह खाली पेट या भोजन के 4–5 घंटे बाद करना श्रेष्ठ होता है।
प्र.2: क्या शुरुआती लोग इसे कर सकते हैं?
👉 हाँ, धीरे-धीरे अभ्यास के साथ और स्ट्रैप का प्रयोग करके आसानी से सीखा जा सकता है।
प्र.3: कितनी देर तक इस आसन में रहना चाहिए?
👉 शुरुआत में 30 सेकंड और धीरे-धीरे 1–2 मिनट तक।
प्र.4: किन लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए?
👉 जिनके कंधे, घुटने या रीढ़ की हड्डी में दर्द हो।
प्र.5: यह आसन कौन से चक्रों को सक्रिय करता है?
👉 यह अनाहत (हृदय चक्र) और स्वाधिष्ठान चक्र को सक्रिय करता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
गोमुखासन (Gomukhasana) शरीर की लचीलापन, मानसिक संतुलन और आत्मिक जागरूकता को बढ़ाने वाला एक अद्भुत योगासन है। नियमित अभ्यास से यह न केवल शरीर को मजबूत बनाता है, बल्कि मन को भी स्थिर करता है।
“योग का सार केवल शरीर को मोड़ने में नहीं, बल्कि मन को विस्तार देने में है।”
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