अष्टांग योग के आठ अंगों में प्राणायाम को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। यह केवल सांस लेने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि जीवन ऊर्जा को साधने की कला है। प्राणायाम में भी हमें तीन चरण देखने को मिलते हैं। श्वसन प्रक्रिया के तीन चरण होते हैं। पहला चरण वायु का अंतर्ग्रहण है जिसे पूरक कहते हैं। दूसरा चरण कुम्भक है जिसका अर्थ है श्वास को रोकना, और तीसरा चरण रेचक है जिसका अर्थ है वायु को बाहर निकालना। पूरक और रेचक प्राकृतिक प्रक्रियाएँ हैं, लेकिन कुम्भक प्राकृतिक नहीं है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि कुम्भक ही प्राणायाम है, पूरक या रेचक नहीं। प्राणायाम की ये तीन मुख्य अवस्थाएँ — पूरक (Purak), कुम्भक (Kumbhak) और रेचक (Rechak) — हमारे शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करती हैं। आइये, यहाँ हम पूरक, रेचक और कुम्भक के बारे में एक एक करके जानते हैं –
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पूरक (Purak) – श्वास का ग्रहण
“पूरक” का अर्थ है श्वास को भीतर लेना।
यह प्रक्रिया शरीर में प्राण ऊर्जा को आमंत्रित करती है।
पूरक करते समय धीरे-धीरे गहरी सांस लें ताकि फेफड़े पूरी तरह फैलें और शरीर ऑक्सीजन से भर जाए।
पूरक के लाभ:
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मानसिक स्पष्टता बढ़ाता है
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फेफड़ों की क्षमता में सुधार करता है
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मन को शांत और एकाग्र करता है
कुम्भक (Kumbhak) – श्वास का धारण
“कुम्भक” का अर्थ है श्वास को रोकना या धारण करना।
यह अवस्था प्राणायाम का सबसे गूढ़ और शक्तिशाली भाग मानी जाती है।
जब हम श्वास को रोकते हैं, तब प्राण का संचार शरीर के हर कोश तक पहुँचता है।
कुम्भक के दो प्रकार होते हैं:
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अंतर कुम्भक: श्वास लेने के बाद रोकना
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बाह्य कुम्भक: श्वास छोड़ने के बाद रोकना
कुम्भक के लाभ:
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ऊर्जा संतुलन बनाए रखता है
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ध्यान और आत्म-नियंत्रण बढ़ाता है
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हृदय और मन को स्थिर करता है
रेचक (Rechak) – श्वास का त्याग
“रेचक” का अर्थ है श्वास को बाहर छोड़ना।
यह प्रक्रिया शरीर से विषाक्तता और नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालने का प्रतीक है।
धीरे और नियंत्रित तरीके से श्वास को बाहर छोड़ना शरीर और मन दोनों को गहराई से विश्राम देता है।
रेचक के लाभ:
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शरीर को विषमुक्त करता है
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तनाव और चिंता को कम करता है
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नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है
कुम्भक, रेचक और पूरक का सामंजस्य
जब ये तीनों एक साथ अभ्यास किए जाते हैं, तो यह एक पूर्ण प्राणायाम चक्र बनाते हैं —
जहाँ पूरक ऊर्जा का संचय करता है, कुम्भक उसे स्थिर रखता है और रेचक शुद्धिकरण करता है।
योग में कहा गया है —
“श्वास ही जीवन है। जिस पर श्वास का नियंत्रण, उसी पर जीवन का नियंत्रण।”
कुम्भक रेचक पूरक का सही अभ्यास कैसे करें
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आरामदायक मुद्रा में बैठें (जैसे पद्मासन या सुखासन)।
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धीरे-धीरे श्वास लें (पूरक)।
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श्वास को रोकें (कुम्भक) – जितना सहज हो।
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धीरे-धीरे श्वास छोड़ें (रेचक)।
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यह क्रम कुछ बार दोहराएँ।
FAQs About Kumbhak Rechak Purak
Q1. कुम्भक, रेचक और पूरक का अभ्यास कब करना चाहिए?
सुबह के शांत वातावरण में या ध्यान से पहले सबसे उपयुक्त समय होता है।
Q2. क्या यह प्राणायाम शुरुआती कर सकते हैं?
हाँ, परंतु शुरुआत में समय और श्वास को रोकने की अवधि कम रखें।
Q3. क्या इनसे मानसिक तनाव कम होता है?
हाँ, नियमित अभ्यास तनाव, चिंता और नींद की समस्या को कम करता है।
Q4. क्या इनका उल्लेख योग सूत्रों में है?
हाँ, पतंजलि योग सूत्र में प्राणायाम के चार चरणों में इनका वर्णन है।
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