Table of Contents
मेरुदंडासन (Merudandasana) करने की विधि, लाभ व सावधानियां
जैसा कि इसका नाम है, मेरुदंडासन रीढ़ कि हड्डी को सीधा रखने में सहायक होता है और इसे मज़बूत एवं लचीला बनाता है । इस आसन के अभ्यास से गठिया रोग में बहुत आराम मिलता है। जिन लोगों का शारीरिक संतुलन ठीक नहीं होता, यहाँ तक कि चलने फिरने में भी उन्हें परेशानी महसूस होती है, वे भी इस आसन के अभ्यास को नियमित रूप से करके लाभान्वित हो सकते हैं। मेरुदंडासन एक ऐसा संतुलन आसन है जो बैठकर किया जाता है और आपके संतुलन और एकाग्रता को बेहतर बनाने में मदद करता है। यहाँ पर मेरुदंडासन करने की विधि व लाभ के बारे में बतलाया गया है।
मेरुदंडासन करने की विधि
- एक समतल ज़मीन पर मेट बिछाए और जमीन पर बैठ जाएं
- अपने दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ लें।
- दोनों पंजों के बीच लगभग आधा मीटर की दूरी रखते हुए उन्हें नितंबों के सामने जमीन पर रखें।
- अपने दोनों पैरों के अंगूठों को हाथों से अलग-अलग पकड़ लें।
- शरीर को शांत बनाएं तथा श्वास लेवें।
- अब श्वास भीतर रोके और धीरे से पीछे की ओर झुकते हुए दोनों पैरों और भुजाओं को ऊपर उठाते और सीधा करते जाएँ।
- दोनों पैरों को धीरे-धीरे क्षमता के अनुसार एक दुसरे से अलग दूर करते जाएं।
- इस दौरान मेरुदंड सीधा रहेगा।
- आंखों को सामने किसी भी एक बिंदु पर दृष्टि को एकाग्र रखें और अंतिम अवस्था में क्षमता के अनुसार रुकने का प्रयास करें।
- इसके बाद वापस धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।
- अब थोड़ा रुक कर जब श्वास सामान्य हो जाए तो पुनः इसी अभ्यास को करें।
मेरुदंडासन के अभ्यास के वक़्त श्वसन कैसा रहे
सीधे बैठने कि स्थिति में श्वास लें। पैर फैलते समय और अंतिम अवस्था में भी श्वास रोक कर रखें। अगर आप अंतिम अवस्था में अधिक समय रुकते है तो सामान्य श्वसन कर सकते हैं। अपने पैरों को नीचे लाने के बाद श्वास छोड़ देवें।
मेरुदंडासन की अवधि
यह एक संतुलन का अभ्यास है। अतः शुरू में आप इस अभ्यास को दो से तीन बार तक कर सकते हैं तथा अंतिम अवस्था में जितनी देर तक संभव हो अपनी क्षमता के अनुसार रुकने का प्रयास करें। बाद में आप इसके अभ्यास को अपनी क्षमता के अनुसार बढ़ा सकते हैं।
मेरुदंडासन के लाभ
- मेरुदंडासन का अभ्यास मेरुदंड को मजबूत बनाता है और उसमें प्राण शक्ति का संचार करता है।
- यह आसन अनुकंपी (sympathetic) और परानुकंपी (parasympathetic) तंत्रिका तंत्र को पुष्ट करता है तथा इससे नवीन शक्ति प्राप्त होती है।
- मेरुदंडासन हमारे पेट के अंगों, विशेषतः यकृत (liver) को पुष्ट करता है और पेट की पेशियों (abdominal muscles) को मजबूत बनाता है।
- इस आसन का अभ्यास आंतों के किटाणुओं को नष्ट करता है और कब्ज को दूर करता है। अतः इस अभ्यास से पाचन संबंधी सभी अंग स्वस्थ होते हैं।
- मेरुदंडासन एक ऐसा संतुलन आसन है जिस से एकाग्रता में काफी सुधार होता है।
- इस आसन के अभ्यास से गठिया रोग में बहुत आराम मिलता है।
मेरुदंडासन की सावधानियां
उच्च रक्तचाप, ह्रदय-रोग, स्लिप डिस्क एवं साइटिका के रोगियों को मेरुदंडासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
मेरुदंडासन को इंग्लिश में पढ़ने के लिए क्लिक करें –