Table of Contents
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा lyrics
“वक्रतुंड महाकाय मंत्र” भगवान गणेश का मंत्र / श्लोक है। एक भक्त इस मंत्र का जाप किसी भी कार्य प्रारम्भ करने के पहले इसलिए करता है ताकि वह हर उस कार्य में सफलता प्राप्त कर सके। इस मंत्र का जाप वैसे भी सामान्य तौर पर जीवन में सफलता प्राप्त करने हेतु भी किया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, भगवान गणेश सभी देवताओं में सबसे पहले पूजे जाते हैं। वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा मंत्र के लिरिक्स और अर्थ इस पोस्ट में नीचे बताए गए हैं।
वक्रतुण्ड महाकाय श्लोक
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा meaning in hindi
घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर है, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली।
मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करें (करने की कृपा करें)॥
वक्रतुण्ड महाकाय मंत्र के लाभ
- वक्रतुंड महाकाय मंत्र” का प्रयोग सभी देवी और देवताओं की पूजा, आरती और हवन में किया जाता है।
- किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले , भगवान गणेश जी का ध्यान किया जाता है।
- भगवान गणेश जी के मंत्र का जाप करने से सभी कार्य पूर्ण होते हैं और हर बाधा दूर हो जाती है।
- मां सरस्वती के वरदान के कारण भगवान गणेश को ज्ञान और बुद्धि का देवता भी कहा जाता है और वे बुद्धि का विकास करते हैं।
- भगवान गणेश सबसे पहले पूजे जाने वाले देवता हैं अपना हर काम सुबह शुरू करने से सबसे पहले इस मंत्र का जाप सफलता अवश्य दिलाता है।
- भगवान गणेश के इस मंत्र का जाप करने से भय, शंका और अनिष्ट शक्तियां दूर रहती हैं।