गोवेर्धन पर्वत और गोवर्धन परिक्रमा करने के नियम
आज हम इस पोस्ट में जानेंगे गोवर्धन पर्वत के बारे में व गोवर्धन परिक्रमा करने के नियम। गोवर्धन पर्वत जिसे गिरिराज के नाम से भी जाना जाता है और यह वृन्दावन से 22 किमी की दूरी पर स्थित है। पवित्र भागवत गीता में कहा गया है कि भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार गोवर्धन पर्वत उनसे भिन्न नहीं है बल्कि उनका ही एक स्वरुप है। इसलिए, श्री कृष्णा के सभी उपासक इस पर्वत की ऐसे ही पूजा करते हैं जैसे वे स्वयं श्री कृष्ण की पूजा कर रहे हैं जैसे या जैसी वे उनकी मूर्ति की पूजा करते हैं। यह पहाड़ी सेंडस्टोन पत्थर से बनी है और 38 किमी की परिधि के साथ 80 फीट ऊंची है। मानसी गंगा, मुखारविंद और दान घाटी सहित कुछ मनोरम आस्था के स्थान गोवेर्धन की परिक्रमा करते समय हमे इनके दर्शन होते हैं।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने अपने बचपन के समय ही मथुरा नगरी को देवताओं के राजा इंद्र के प्रकोप से (भयंकर बारिश और तूफान से) बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था और मथुरा नगरी के वासियों की रक्षा की। तब श्री कृष्ण ने सभी मथुरा वासियों से इस पर्वत को पूजने की सलाह दी। इस पर्वत को तभी से पवित्र पर्वत माना जाता है। गुरु पूर्णिमा और गोवर्धन पूजा के दिन तो असंख्य भक्तगण श्रद्धापूर्वक इस पर्वत के चारों ओर परिक्रमा भी किमी नंगे पैर चलकर करते हैं।
गोवर्धन परिक्रमा करने के नियम
- परिक्रमा प्रारंभ करने से पहले गोवर्धन पर्वत को प्रणाम करें और ध्यान रखें कि परिक्रमा जिस स्थान से आरंभ करते हैं, उसी स्थान पर समाप्त भी करनी होती हैं।
- अगर आपको गोवर्धन परिक्रमा आरंभ करनी है तो पहले मानसी गंगा में स्नान अवश्य कर लेना चाहिए। अगर गंगा में स्नान करना संभव न हो तो हाथ मुंह धोकर भी परिक्रमा आरंभ की जा सकती है।
- परिक्रमा में दंडवत प्रणाम या साष्टांग प्रणाम करते समय शरीर के आठ अंग दोनों भुजाएं, दोनों पैर, दोनों घुटने, सीना, मस्तक और नेत्र जमीन को छूने चाहिए।
- गोवर्धन परिक्रमा करते समय शुरू में कम से कम पांच और अंत में कम से कम एक दंडवत या साष्टांग प्रणाम अवश्य करें।
- गिरिराज जी के कुंडो में स्नान करते समय साबुन, तेल व शैम्पू आदि का प्रयोग नहीं करें।
- गोवर्धन की परिक्रमा करते समय पवित्रता का ध्यान रखना आवश्यक होता है, इसलिए किसी नशीली चीज या फिर धुम्रपान का सेवन नहीं करें।
- परिक्रमा इस तरह से आरंभ करें कि परिक्रमा करते समय गोवर्धन पर्वत आपके दाहिनी ओर रहे।
- गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते समय लगातार भगवान के नाम का जाप करते रहना चाहिए.
- जहा तक हो सके इस परिक्रमा को पूरा ही करना चाहिए और अगर किसी विशेष कारण से आपको परिक्रमा अधूरी छोड़नी पड़े तो गोवर्धन भगवान और कृष्ण जी से क्षमा प्रार्थना करने के पश्चात ही परिक्रमा छोड़नी चाहिए।
- गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा नंगे पैर की जाती है। अगर कोई व्यक्ति कमजोर हो या फिर कोई छोटा बच्चा साथ में हो तो कपड़े के जूते प्रयोग किए जा सकते हैं।
- परिक्रमा करते समय किसी पर भी क्रोध नहीं करना चाहिए और न हीं किसी को अपशब्द बोलने चाहिए।
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