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वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ लिरिक्स हिंदी में अर्थ सहित
“वक्रतुंड महाकाय मंत्र” श्री गणेश जी का मंत्र है जिसका जाप करने से भगवान गणेश खुश होते है। किसी भी कार्य को प्रारम्भ करने से पहले भगवान गणेश जी के इस मंत्र का जाप करना शुभ मना जाता है। एक भक्त गणेश जी से उस कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करता है जो उसने प्रारम्भ किया है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश को सभी देवताओं में सबसे पहले पूजा जाता है।
आप को भी किसी भी प्रकार के कार्य को प्रारंभ करने के पूर्व श्री गणेश जी का स्मरण इस मंत्र के साथ अवश्य करना चाहिए, आपके शुभकार्य निश्चित ही सिद्ध होंगे। भगवान गणेश समृद्धि और बुद्धि के देवता हैं। वह सभी बाधाओं को दूर करते हैं और उनकी पूजा करने वालों को सुख और शांति प्राप्त होती है।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ श्लोक
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
वक्रतुंड महाकाय मंत्र का अर्थ हिंदी में
वक्रतुण्ड: = घुमावदार सूंड
महाकाय: = महा काया, विशाल शरीर
सूर्यकोटि: = करोड़ सूर्य
समप्रभ: = के समान प्रतिभाशाली
निर्विघ्नं: = बिना विघ्न
कुरु: = पूरे करें
मे: = मेरे
देव: = प्रभु
सर्वकार्येषु: = सारे कार्य
सर्वदा: = हमेशा, सदैव
घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर काया, करोड़ो सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली,
मेरे प्रभु हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पुरे करें या पूरे करने की कृपा करे।
वक्रतुंडा महाकाय मंत्र के लाभ
- प्रतिदिन 108 बार गणेश मंत्रों का जाप करने से भगवान गणेश खुश होते है और भक्त पर उनकी कृपा बरसती है।
- एक भक्त द्वारा इस मंत्र का जाप करने से उसकी हर बाधा दूर हो जाती हैऔर वह धन, ज्ञान, सौभाग्य, समृद्धि और सफलता प्राप्त करता है।
- भगवान गणेश भक्त के जीवन से सभी बुराइयों को दूर करते हैं।
- वे भक्त को समृद्धि, विवेक, और सफलता का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
2 Comments
Ganesha Shloka of Vakratunda Mahakaya in Hindi are well explained. when i was child i was know the shloka but not know meaning. Thanks for sharing your knowledge with us.
Most welcome Sir