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Om Jai Jagdish Hare Aarti – ओम जय जगदीश हरे आरती Mp3
आरती ओम जय जगदीश हरे भगवान विष्णु की स्तुति में गाई जाती है। यह आरती प्रत्येक हिंदू परिवार में सबसे लोकप्रिय आरतियों में से एक है और उनकी दैनिक शाम की पूजा के दौरान गाई जाती है। वैष्णव धर्म में, जब भी दुनिया को बुरी और विनाशकारी ताकतों से खतरा होता है, तो भगवान विष्णु को रक्षक के रूप में विभिन्न अवतार लेने के लिए माना जाता है। उनके विभिन्न नाम हैं जैसे जगदीश, नारायण, जगन्नाथ, वासुदेव, विठोबा और हरि। ‘ओम जय जगदीश हरे’ भगवान विष्णु के लिए हिंदुओं की एक आरती है और इसे सभी हिंदुओं द्वारा व्यापक रूप से गाया जाता है, चाहे उनकी मूल भाषा कुछ भी हो।
ओम जय जगदीश हरे आरती लिखित में इन हिंदी (Om Jai Jagdish Hare Lyrics In Hindi)
ओम जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ओम जय जगदीश हरे…॥
जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख विनशे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ओम जय जगदीश हरे…॥
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं मैं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी॥
॥ ओम जय जगदीश हरे…॥
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी॥
॥ ओम जय जगदीश हरे…॥
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख खल कामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ओम जय जगदीश हरे…॥
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति॥
॥ ओम जय जगदीश हरे..॥
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
तुम ठाकुर मेरे,
स्वामी तुम रक्षक मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने हाथ उठाओ,
द्वार पड़ा मैं तेरे॥
॥ ओम जय जगदीश हरे…॥
विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥
॥ ओम जय जगदीश हरे…॥
तन मन धन सब कुछ है तेरा
स्वामी सब कुछ है तेरा
तेरा तुझको अर्पण
तेरा तुझको अर्पण
क्या लागे मेरा
॥ ओम जय जगदीश हरे…॥
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ओम जय जगदीश हरे…॥
Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics
Om Jai Jagadish Hare
Swami Jaya Jagadish Hare
Bhakta jano ke sankat
Daas jano ke sankat, Kshan me door kare
॥ Om Jai Jagadish Hare ॥
Jo dhyave phal paave
Dukh vinashe man ka
Swami dukh vinashe man ka
Sukha sampati Ghar aave
Sukha sampati Ghar aave
Kashht mite tan ka
॥ Om Jai Jagadish Hare ॥
Mata pita tum mere
Sharan gahun mai kis ki
Swami sharan gahun mai kis ki
Tum bin aur na doojaa
Tum bin aur na doojaa
Aas karun mai jis ki
॥ Om Jai Jagadish Hare॥
Tum pooran Paramatma
Tum Antaryaami
Swami Tum Antaryaami
Par Brahma Parameshwar
Par Brahma Parameshwar
Tum sab ke Swami
॥ Om Jai Jagadish Hare॥
Tum karuna ke saagar
Tum palan karta
Swami Tum palan karta
Main moorakh khal kaami
Mai sevak tum swaami
Kripa karo bhartaa
॥ Om Jai Jagadish Hare॥
Tum ho ek agochar
Sab ke prana pati
Swami sab ke prana pati
Kis vidhi miloon dayamaya
Kis vidhi miloon dayamaya
Tum ko mai kumati
॥ Om Jai Jagadish Hare॥
Deen bandhu dukh hartaa
Tum rakshak mere
Swami tum Thakur mere
Apane haat uthao
Apane haat uthao
Dwar Pada mai tere
॥ Om Jai Jagadish Hare॥
Vishaya vikar mithao
Paap haro deva
Swami paap haro deva
Shraddha bhakti badhao
Shraddha bhakti badhao
Santan ki seva
॥ Om Jai Jagadish Hare॥
Tan man dhan sab kuch hai tera
Swami sab kuch hai tera
Tera tujh ko arpan
Tera tujh ko arpan
Kya laage mera
॥ Om Jai Jagadish Hare॥
Om Jai Jagadish Hare
Swami Jai Jagadish Hare
Bhakta jano ke sankat
Daas jano ke sankat
Kshan me door kare
॥ Om Jai Jagadish Hare॥
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