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Durga Maiya Ki Aarti – Ambe Maa Ki Aarti
कैसे करें दुर्गा जी (अम्बे माँ की) की आरती, जानिए पूरी विधि और आवश्यक बातें
मां दुर्गा की आरती में कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखें । आरती से पहले मां दुर्गा के मंत्रों से तीन बार पुष्पांजलि देनी चाहिए। इसके बाद शंख, ढोल और नगाड़े आदि वाद्यों से जय-जयकार करना चाहिए। माता जी की आरती करने के लिए घी या कपूर से विषम संख्या में (1,5,7,11,21,101) बत्तियाँ जलाकर आरती शुरू करें। विषम संख्याओ में तीन बत्तियों का प्रयोग न करें। ज्यादातर पांच बत्तियों से आरती की जाती है, इसे पंचप्रदीप भी कहा जाता है। आरती कपूर से भी की जा सकती है। पद्मपुराण में कहा गया है कि ‘कुंकुम, अगर, कपूर, घृत और चन्दन की बत्तियाँ बनाकर या दीपक की (रुई और घी की) बत्तियाँ बनाकर शंख, घण्टा आदि बाजे बजाते हुए आरती करनी चाहिए। आरती करते समय सबसे पहले माता की प्रतिमा के चरणों में चार बार घुमाएं, दो बार नाभि प्रदेश में, एक बार मुख मण्डल पर और सात बार समस्त अंगों पर घुमाएं । इस तरह चौदह बार आरती घुमानी चाहिए।
Jai Ambe Gauri Aarti Lyrics In Hindi
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रम्हा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमदको ।
उज्जवल से दोऊ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजे ।
रक्त पुष्प गल माला, कण्ठन पर साजे॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्पर धारी ।
सुर नर मुनि जन सेवत, तिनके दुःख हारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुंडल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुंभ निशंभु विदारे महिषासुरधाती ।
धूम्रविलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे ।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रम्हाणी रुद्राणी तुम कमलारानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरान॥,
जय अम्बे गौरी
चौसंठ योगिनी गावत नृत्य करत भैरुँ ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरुँ॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुःखहर्ता, सुख सम्पत्ति कर्ता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी ।
मनवांच्छित फल पावे, सेवत नर नारी॥
जय अम्बे गौरी
कंचन थाल विराजत अगर कपुर बात्ती ।
श्री माल केतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥
जय अम्बे गौरी
या अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
दुर्गा माँ आरती का महत्व
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माँ दुर्गा की आरती करने से जीवन से नकारात्मकता दूर होती है।
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भक्त को साहस, शक्ति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
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आरती से घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
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नवरात्रि के दौरान इस आरती का विशेष महत्व है।
FAQs (Frequently Asked Questions)
Q1: जय अम्बे गौरी आरती कब करनी चाहिए?
A1: नवरात्रि, दुर्गा पूजा, शक्ति पूजा या किसी भी दिन सुबह-शाम माँ दुर्गा की आरती कर सकते हैं।
Q2: क्या दुर्गा माँ की आरती करने के लिए विशेष नियम हैं?
A2: शुद्धता और श्रद्धा से आरती करना ही सबसे महत्वपूर्ण नियम है।
Q3: दुर्गा माँ आरती के लाभ क्या हैं?
A3: यह आरती जीवन में शक्ति, शांति और समृद्धि लाती है तथा भक्त के सभी कष्टों का नाश करती है।
दुर्गा माता जी को आदि शक्ति के नाम से भी जाना जाता है| नियमित रूप से भाव विभोर होकर उनकी आरती गाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं| जय अम्बे गौरी आरती माँ दुर्गा की कृपा पाने का सरल और शक्तिशाली साधन है। इसके गायन से भक्त को माँ की दिव्य ऊर्जा, साहस और आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि आप माँ दुर्गा की कृपा चाहते हैं तो इस आरती को श्रद्धा और भक्ति के साथ नियमित रूप से करें।
Jai Ambe Gauri Aarti Lyrics In Hindi pdf –
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