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शलभासन योग विधि, लाभ और सावधानियां
आज हम आपके लिए शलभासन के फायदे लेकर आए हैं। शलभासन या पूर्ण शलभासन का अभ्यास पेट के बल लेटकर किया जाता है। इसके नियमित अभ्यास से आप कई बीमारियों से बच सकते हैं। यह पीठ दर्द से राहत दिलाने के साथ पाचन तंत्र को मजबूत करने में मदद करता है।शलभासन, जिसे टिड्डी मुद्रा के रूप में जाना जाता है, एक बैकबेंड आसन है। इस आसन का संस्कृत नाम शलभासन दो शब्दों से मिलकर बना है – शलभ और आसन, जहां ‘शलभ’ का अर्थ ‘टिड्डा’ और ‘आसन’ का अर्थ ‘मुद्रा’ है। इसे टिड्डी आसन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस आसन के अभ्यास के समय आपके शरीर का आकार एक टिड्डी के जैसा होता है। इस आसन का अभ्यास आसान है और इसे कोई भी कर सकता है। आइए जानते हैं कि शलभासन का अभ्यास कैसे किया जाता है और इसके अभ्यास से आपको क्या फायदे मिलते हैं।
शलभासन करने का तरीका (How To Do Salabhasana)
- सबसे पहले आप किसी साफ स्थान पर चटाई बिछा कर पेट के बल लेट जाएं।
- दोनों पैरो को सीधा रखें और अपने पैर के पंजे को सीधे तथा ऊपर की ओर रखें।
- अपने दोनों हाथों को सीधा करें और उनको जांघों के नीचे दबा लें।
- यानी अपना दायां हाथ दायीं जांघ के नीचे और बायां हाथ बायीं जांघ के नीचे दबा लें।
- अपनी थोड़ी को भूमि पर टिका देवें और पूरे अभ्यास के समय थोड़ी भूमि से लगी रहे, यह सुनिश्चित करें।
- एक गहरी सांस अंदर की ओर लें और अपने दोनों पैरों को ऊपर की ओर उठाने की कोशिश करें।
- अगर आप इस अभ्यास में नए हैं तो पैरों को ऊपर करने के लिए अपने हाथों का सहारा ले सकते हैं।
- शुरुआत में लगभग 5 सेकंड तक आसन में बने रहें।
- धीरे-धीरे इस समय को लगभग 30 सेकंड तक बढ़ाएं।
- इसके बाद आप धीरे धीरे अपनी सांस को बाहर छोड़ते हुए पैरों को नीचे करते जाएं।
- दोबारा अपनी प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।
- इस अभ्यास को 3-4 बार दोहराएं।
शलभासन के फायदे (Benefits of Shalabhasana)
- यह आसन पीठ के निचले हिस्से और श्रोणि क्षेत्र के अंगों को मजबूत करता है और पीठ के निचले हिस्से में दर्द, साइटिका नर्व का दर्द और स्लिप्ड डिस्क से राहत देता है।
- शलभासन वजन को कम करने के लिए एक अच्छी योग मुद्रा मानी जाती है।
- यह आसन पाचन तंत्र को ठीक करता करता है, जिससे पेट संबंधी बीमारियां नहीं होती हैं।
- शलभासन कब्ज को ठीक करता है, शरीर में अम्ल और क्षार के संतुलन को बनाए रखता है।
- यह आसन आपके शरीर के लचीलेपन को बढ़ाता है।
- इससे अभ्यास से आपको अपनी श्रोणि क्षेत्र और पेडू स्थान की मसल्स को टोन करने में मदद मिलेगी, और यहाँ के सभी अंग परिपुष्ट होंगे।
- रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने के लिए शलभासन एक अच्छा योग है।
- शलभासन जिगर, अग्न्याशय और गुर्दे को टोन करता है। इसके अभ्यास से पेट की सभी मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
- त्रिकास्थि (sacral), अनुत्रिक (coccygeal) और काठ क्षेत्र के निचले हिस्से को भरपूर मात्रा में रक्त प्राप्त होता है और वे स्वस्थ और मजबूत बनते हैं।
शलभासन के दौरान बरतें ये सावधानियां
- सलभासन का अभ्यास उन महिलाओं को नहीं करना चाहिए जो गर्भवती हैं
- अगर आपकी कमर में चोट लगी है या आपने हाल ही में पेट की सर्जरी कराई है तो आप इस आसन के अभ्यास से बचें।
- अगर आसन के अभ्यास के दौरान आपको कोई असुविधा महसूस होती है तो इस आसन का अभ्यास तुरंत बंद कर दें।
- अगर आप गर्दन के दर्द या रीढ़ की हड्डी के दर्द से परेशान हैं तो आप इस योग आसन को ना करें।
सामान्यतया योग कक्षाओं में, भुजंगासन, शलभासन और धनुरासन की एक श्रृंखला को एक क्रम में अभ्यास किया जाता है। भुजंगासन से शरीर के ऊपरी हिस्से का और शलभासन से शरीर के निचले हिस्से का व्यायाम होता है। धनुरासन पूरे शरीर को स्ट्रेच करता है।
शलभासन इंग्लिश में पढ़ें –
Salabhasana ( The Locust Pose ) – Top Asana For Lower Back Pain