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शशांकासन योग करने की विधि लाभ एवं सावधानियां
शशांकासन क्या है ? What is Shashankasana in Hindi
संस्कृत शब्द शशांक का अर्थ ‘चन्द्रमा’ होता है। ‘शशांक’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। ‘शश’ का अर्थ है खरगोश और ‘अंक’ का अर्थ है ‘गोद’। भारत में लोग पूर्ण चन्द्र में दिखाई पड़ने वाले काले धब्बों को चाँद को गोद में लिए खरगोश की आकृति के सदृश मानते हैं। इसके अतिरिक्त चन्द्रमा शान्ति का प्रतीक है और शीतल और प्रशान्त तरंगें विकीर्ण करता है। शशांकासन की अंतिम अवस्था में शरीर एक खरगोश के समान आकृति धारण कर लेता है, तथा इसका मन पर शान्त और शीतल प्रभाव होता है, इसीलिए इसको शशांकासन के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे Hare Pose Yoga के नाम से जाना जाता है। यह आसन आंत, अस्थमा, मधुमेह, ह्रदय रोग अग्न्याशय, नसें-नाड़ियां, नितंब, गुदा इत्यादि के लिए बहुत लाभकारी है।
सरल शब्दों में, खरगोश या शशक बहुधा इसी स्थिति में रहते हैं।
शशांकासन करने की विधि – How to do Shashankasana in Hindi
यहां पर शशांकासन करने के सरल तरीके के बारे में बताया जा रहा है जिसको सीख कर आप आसानी से इस आसन का अभ्यास कर सकते हैं।
- वज्रासन में बैठकर हथेलियों को जाँघों पर घुटनों के ठीक ऊपर रखें।
- मेरुदण्ड और सिर को सीधा रखते हुए, आँखों को बन्द कर शरीर को शिथिल करें।
- श्वास लेते हुए भुजाओं को सिर के ऊपर उठायें।
- भुजाओं को सीधा रखते हुए कंधे की चौड़ाई जितनी दूरी पर रखें।
- भुजाओं एवं सिर को धड़ की सीध में रखते हुए, नितम्बों से धड़ को आगे की ओर झुकाते समय श्वास छोड़े।
- हाथों और ललाट को घुटनों के सामने जमीन पर टिकाते हुए विश्राम करें।
- आपकी कोशिश यह रहनी चाहिए कि भुजाओं एवं ललाट को एक साथ जमीन से स्पर्श कराये।
- कोहनियों को ढीली छोड़कर ज़मीन पर विश्राम करने देवें।
- अंतिम स्थिति में सामान्य श्वसन के प्रति सजग रहते हुवे जितनी देर आराम से रह सकें, रहें।
- तत्पश्चात श्वास लेते हुवे धीरे-धीरे भुजाओं और धड़ को ऊपर उठाते हुए सीधा कर लेवें।
- अपनी भुजाओं और सिर को धड़ की सीध में रखें।
- और आखिर में अपनी भुजाओं को नीचे लाकर घुटनों पर रखते हुए श्वास छोड़े।
- यह एक चक्र हुआ।
- अगर आप कम समय ही अंतिम अवस्था में रुके हैं तो इस आसन को २ से ३ बार रिपीट कर सकतें हैं।
शशांकासन के लाभ – Shashankasana benefits in Hindi
- शशांकासन का नियमित अभ्यास तनाव और मानसिक उथल पुथल को दूर कर मन को शांत करता है। साथ ही साथ यह आसन क्रोध, भय, उत्तेजना आदि को कम करने में भी अहम भूमिका निभाता है।
- फेंफड़ों को मजबूत करने के लिए यह एक उत्तम योगाभ्यास है।
- दमा / अस्थमा रोग, मधुमेह / डायबिटीज और ह्रदय रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए उपयोगी योग हैं।
- शशांकासन के अभ्यास से क्रोध को शांत करने में सहायता मिलती है।
- शशांकासन पुरुष और महिलाओं के प्रजनन अंगों की गड़बड़ियों को दूर करता है।।
- शशांकासन लिवर एवं किडनी की मालिश कर उनकी सक्रियता को बढ़ाता है और इन्हें स्वस्थ रखता है।
- यह पाचन संबंधी परेशानियों से दूर रखता है।
- शशांकासन का नियमित अभ्यास साइटिका के दर्द में बहुत आराम दिलाता है।
- यह आसन पीठ की पेशियों में खिंचाव पैदा करता है और पीठ दर्द के लिए यह लाभकारी है।
- शशांकासन आंखों एवम मस्तिष्क के लिए लाभकारी हैयोगाभ्यास है।
- यह मस्तिष्क में खून की यथासंभव पूर्ति करते हुए मेमोरी बढ़ाने में सहायता प्रदान करता है।
शशांकासन की सावधानियां – Shashankasana precautions in Hindi
- वर्टिगो से पीड़ित लोगों को शशांकासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- स्लिप डिस्क की शिकायत हो तो भी इस आसन को करने से बचें।
- हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित अभ्यासी भी इस योगाभ्यास को न करें।
- चक्कर आने पर शशांकासन का अभ्यास न करें।
शशांकासन एक आगे झुकने वाला आसन है। इसके अभ्यास के बाद पीछे की और झुकने वाले आसन, जैसे कि उष्ट्रासन या सुप्त वज्रासन करने कि सलाह दी जाती है।