माता दुर्गा की आरती करना घर में शांति, साहस और शुभ फल लाने वाला माना जाता है। बहुत लोग आरती करना चाहते हैं, लेकिन सही मंत्र, क्रम और तरीका न जानने के कारण हिचक महसूस करते हैं। इसी पोस्ट में दुर्गा आरती इन हिंदी, उसका पाठ, उच्चारण और सही विधि सरल भाषा में दी गई है।
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दुर्गा आरती इन हिंदी क्यों करें
दुर्गा आरती श्रद्धा से की जाए तो मन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। यह भय, चिंता और नकारात्मक भावनाओं को दूर करने में सहायक मानी जाती है। नवरात्रि, मंगलवार, शुक्रवार या रोजाना सुबह-शाम आरती करना शुभ होता है।
दुर्गा आरती पाठ करने का सही तरीका
• आरती से पहले हाथ-मुंह धो लें
• दीपक में तिल या घी का प्रयोग करें
• माता की मूर्ति या चित्र के सामने शांत मन से बैठें
• आरती के दौरान मन भटके तो धीरे-धीरे वापस मंत्र पर लाएँ
• अंत में सभी घरवालों पर दीप घुमाएँ
आरती में भाव सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि उच्चारण थोड़ा गलत भी हो जाए, तो भी श्रद्धा कम नहीं होती।
दुर्गा आरती इन हिंदी (पूरी आरती)
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रम्हा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमदको ।
उज्जवल से दोऊ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजे ।
रक्त पुष्प गल माला, कण्ठन पर साजे॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्पर धारी ।
सुर नर मुनि जन सेवत, तिनके दुःख हारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुंडल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुंभ निशंभु विदारे महिषासुरधाती ।
धूम्रविलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे ।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रम्हाणी रुद्राणी तुम कमलारानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरान॥,
जय अम्बे गौरी
चौसंठ योगिनी गावत नृत्य करत भैरुँ ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरुँ॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुःखहर्ता, सुख सम्पत्ति कर्ता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी ।
मनवांच्छित फल पावे, सेवत नर नारी॥
जय अम्बे गौरी
कंचन थाल विराजत अगर कपुर बात्ती ।
श्री माल केतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥
जय अम्बे गौरी
या अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
दुर्गा आरती pdf
दुर्गा आरती कब करनी चाहिए
• नवरात्रि के नौ दिन
• मंगलवार और शुक्रवार
• खास काम शुरू करने से पहले
• परिवारिक पूजा या संध्या समय
सुबह सूर्योदय के बाद और शाम सूर्यास्त के समय आरती सर्वोत्तम मानी जाती है।
दुर्गा आरती के लाभ
• मन में साहस और शक्ति का संचार
• घर-परिवार में सौहार्द और शांति
• नकारात्मकता से सुरक्षा का भाव
• श्रद्धा और भक्ति में वृद्धि
आरती केवल अनुष्ठान नहीं, बल्कि माता से जुड़ने का सरल तरीका है।
यदि आप नियमित रूप से दुर्गा आरती इन हिंदी का पाठ करते हैं, तो यह आपके जीवन में अनुशासन और विश्वास दोनों बढ़ाता है। धीरे-धीरे यह आदत बन जाती है और घर का वातावरण और भी पवित्र महसूस होता है।
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